प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय का दौरा कर सकते हैं. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी की यह पहली यात्रा हो सकती है. उनकी इस यात्रा का समय काफी महत्वपूर्ण है. अगले महीने होने वाले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पीएम मोदी नागपुर जा रहे हैं. ऐसे माना जा रहा है कि इस चुनाव को लेकर वो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से सलाह-मशविरा भी कर सकते हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है पीएम मोदी की नागपुर यात्रा
नागपुर यात्रा के दौरान पीएम मोदी माधव नेत्रालय के भवन विस्तार की आधारशिला भी रखेंगे.आई इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर ने सोमवार को एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया है कि इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के अलावा, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल होंगे.
पीएम मोदी और आरएसएस नेताओं की यह संभावित बैठक महत्वपूर्ण इसलिए मानी जा रही है क्योंकि अगले महीने ही बीजेपी के नए अध्यक्ष का चुनाव होना है.बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.ऐसी चर्चा है कि नए अध्यक्ष के नाम को लेकर आरएसएस और बीजेपी में सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं. कहा जा रहा है कि आरएसएस अपने पसंद का बीजेपी अध्यक्ष चाह रहा है.
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत.
बीजेपी और आरएसएस के बनते-बिगड़ते संबंध
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार और आरएसएस के संबंधों में खटास नजर आई थी. दरअसल बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान 17 मई को अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को एक इंटरव्यू दिया था.इस दौरान उनसे अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल और पीएम मोदी के प्रधानमंत्री काल में बीजेपी और आरएसएस के संबंधों में आए बदलाव को लेकर सवाल पूछा गया था. इस पर उन्होंने कहा था, ''शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे, आरएसएस की जरूरत पड़ती थी…आज हम बढ़ गए हैं,सक्षम हैं…अब बीजेपी अपने आप को चलाती है. यही फर्क है."
आरएसएस के लोगों ने इसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी की ओर से एक संकेत के रूप में माना था कि पहले की तुलना में पार्टी की संघ पर निर्भरता अब कम हो गई है, खासकर मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए. नड्डा के इस बयान के बाद यह माना गया कि बीजेपी और आरएसएस के संबंध अब सामान्य नहीं हैं. हालांकि बाद में बीजेपी और आरएसएस के नेताओं ने यह माना की संचार की कमी की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन अब इसे सुलझा लिया गया है.
पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस
लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने लक्ष्य का हासिल नहीं कर पाई थी. उसे नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी. बीजेपी के खराब प्रदर्शन की वजह आरएसएस नेताओं और कार्यकर्ताओं की प्रचार से दूरी माना गया. लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के संबंधों में सुधार आया. इसका असर हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव पर पड़ा. बीजेपी दोनों राज्यों में सरकार बनाने में सफल हुई.
पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार का जारी एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपने जीवन में आरएसएस के प्रभाव पर खुलकर बात की थी.
अगर 30 मार्च को पीएम मोदी आरएसएस मुख्यालय जाते हैं तो उनका यह कदम आरएसएस के शीर्ष नेताओं के साथ मतभेद दूर करने की कोशिश हो सकती है. इससे पहले रविवार को आए लैक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में पीएम मोदी ने आरएसएस की जमकर तारीफ की थी.उन्होंने आरएसएस की उनके जीवन में भूमिका, समाज में उसके योगदान और अपने अनुभवों पर चर्चा की थी. उन्होंने बताया था कि संघ की शाखा में गाए जाने वाले देशभक्ति गीतों की वजह से वो बचपन में ही आरएसएस से प्रभावित हो गए थे.
इससे पहले पीएम मोदी और आरएसएस के शीर्ष नेताओं की एक बैठक सितंबर 2015 में आयोजित की गई थी. पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख भागवत दिल्ली में बीजेपी और संघ के बड़े नेताओं की समन्वय समिति की बैठक में शामिल हुए थे.