'टेंपरेचर नीचे, दोस्ती प्लस में'! जानिए कैसे इशारों में रूस को सबकुछ समझा गए मोदी

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी का यह पहला रूस दौरा है. पीएम मोदी का यह रूस दौरान ऐसे समय हो रहा है जब उसकी नजदीकियां चीन के साथ बढ़ रही हैं.यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से रूस चीन की दोस्ती और प्रगाढ़ हुई है.

Advertisement
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर हैं. इस दौरे के अंतिम दिन मंगलवार को प्रवासी मॉस्को में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अपनी सरकार की कार्य योजनाओं का जिक्र किया.इसके साथ ही उन्होंने भारत-रूस दोस्ती का जिक्र भी किया. उन्होंने इशारों ही इशारों में बिना नाम लिए चीन का भी जिक्र कर दिया.

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी का यह पहला रूस दौरा है. पीएम मोदी का यह रूस दौरान ऐसे समय हो रहा है जब उसकी नजदीकियां चीन के साथ बढ़ रही हैं.यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से रूस चीन की दोस्ती और प्रगाढ़ हुई है. 

पीएम नरेंद्र मोदी ने मॉस्को में क्या कहा है

प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत-रूस दोस्ती की प्रगाढ़ता का जिक्र किया. इसके लिए उन्होंने फिल्मी गानों का सहारा लिया.उन्होंने कहा,'' रूस शब्द सुनते ही...हर भारतीय के मन में पहला शब्द आता है...भारत के सुख-दुख का साथी,भारत का भरोसेमंद दोस्त.रूस में सर्दी के मौसम में तापमान कितना ही माइनस में नीचे क्यों न चला जाए...भारत-रूस की दोस्ती हमेशा प्लस में रही है, गर्मजोशी भरी रही है.'' पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस का यह रिश्ता आपसी विस्वास और परस्पर सम्मान की मजबूत नींव पर बना है.

रूस में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी.

उन्होंने कहा, ''मैं बीते दस सालों में छह बार रूस आया हूं.दस साल में हम 17 बार मिले हैं. मैं अपने दोस्त राष्ट्रपति पुतिन का आभारी हूं. भारत और रूस कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है.भारत और रूस के बीच अनोखा रिश्ता है.मैं रूस के साथ अनोखे रिश्ते का कायल हूं.दोनों देशों की दोस्ती सदा बरकरार रहेगी.हर बारी हमारी दोस्ती और मजबूत होकर उभरी है.रूसी भाषा में DURZHBA का हिंदी अर्थ दोस्ती होता है.यही शब्द दोनों देशों के संबंधों का परिचायक है.''

रूस चीन संबंधों पर भारत की नजर

पांचवे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुने जाने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने अपना पहला दौरा चीन का किया था. यूक्रेन पर हमले के बाद हथियारों की कमी का सामना कर रहे रूस के लिए पुतिन का चीन दौरान काफी अहम था. रूस की चीन पर निर्भरता काफी बढ़ी है. यह स्थिति भारत को असहज कर रही है. यही वजह है कि सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय यात्रा के लिए रूस को चुना है.

एससीओ समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग.

यह यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि भारत-रूस का सालाना शिखर सम्मेलन आमतौर पर साल के अंतिम महीने में होता है, लेकिन इस बार यह जुलाई में ही हो रहा है. दोनों देशों का पिछला सालाना शिखर सम्मेलन दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था.

Advertisement

भारत ने क्या संदेश दिया है

दरअसल नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा के लिए रूस को चुन कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि रूस खुद को अकेला न समझे.केवल चीन पर ही निर्भर न रहे. उसके साथ भारत भी खड़ा है. यही संदेश देने के लिए भारत ने पश्चिमी देशों की तमाम पाबंदियों को दरकिनार कर रूस के साथ तेल खरीदना जारी रखा.भारत और रूस के बीच सालाना कारोबार करीब 65 अरब डॉलर का है. भारत रूस से आयात ज्यादा करता है और निर्यात कम. 

ये भी पढ़ें: PM Narendra Modi in Russia: जब पुतिन के साथ डिनर पर PM मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर कही 'सीधी बात'

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jammu Kashmir Assembly Elections: AIP और जमाते इस्लामी के समर्थन वाले निर्दलीय किसका खेल बिगाड़ेंगे?