संविधान की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं: नामीबिया संसद में पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे लोगों के बीच मैत्री के प्रतीक के रूप में नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्राप्त करके मैं अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. नामीबिया के मजबूत और सुंदर पौधों की तरह, हमारी मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है.

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की संसद में संबोधन करते हुए लोकतंत्र के मंदिर को संबोधित करना अपने लिए सौभाग्य बताया और आभार व्यक्त किया।
  • मोदी ने नामीबिया की पहली महिला राष्ट्रपति के चुनाव को ऐतिहासिक क्षण बताया और भारत में भी महिला राष्ट्रपति होने पर गर्व जताया।
  • उन्होंने भारत के संविधान की शक्ति का उदाहरण देते हुए बताया कि यह गरीब परिवारों के लोगों को भी उच्च पदों तक पहुंचने का अवसर देता है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की संसद में अपना संबोधन शुरू किया तो लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर, इस गरिमामय सदन को संबोधित करना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।. मुझे यह सम्मान देने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. मैं आपके समक्ष लोकतंत्र की जननी के प्रतिनिधि के रूप में खड़ा हूं और मैं अपने साथ भारत के 1.4 अरब लोगों की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं लाया हूं.

'हम भी गर्व से मैडम प्रेसिडेंट कहते हैं...'
नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ महीने पहले, आपने एक ऐतिहासिक क्षण का जश्न मनाया, नामीबिया ने अपनी पहली महिला राष्ट्रपति चुनी. हम आपके गर्व और खुशी को समझते हैं और साझा करते हैं क्योंकि भारत में, हम भी गर्व से मैडम प्रेसिडेंट कहते हैं. यह भारत के संविधान की शक्ति है कि एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राष्ट्रपति है. यह संविधान की शक्ति है जिसने मुझ जैसे व्यक्ति को, जो एक गरीब परिवार में पैदा हुआ, तीन बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया. जिनके पास कुछ नहीं है, उनके पास संविधान की गारंटी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोग आपके मुक्ति संग्राम के दौरान नामीबिया के साथ गर्व से खड़े थे. हमारी अपनी आज़ादी से पहले भी, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण पश्चिम अफ्रीका का मुद्दा उठाया था. नामीबिया में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का नेतृत्व भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल दीवान प्रेम चंद ने किया था. भारत को आपके साथ खड़े होने पर गर्व है, सिर्फ शब्दों में ही नहीं, बल्कि कार्यों में भी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे लोगों के बीच मैत्री के प्रतीक के रूप में नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्राप्त करके मैं अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. नामीबिया के मजबूत और सुंदर पौधों की तरह, हमारी मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है और आपके राष्ट्रीय पौधे, वेल्वित्शिया मिराबिलिस की तरह, यह समय और उम्र के साथ और भी मजबूत होती जाती है.

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नामीबिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अफ्रीका को केवल कच्चे माल का स्रोत नहीं बनना चाहिए बल्कि इसे मूल्य संवर्धन और सतत विकास में अग्रणी होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें मिलकर काम करना होगा. आइए हम एक ऐसा भविष्य बनाएं जो शक्ति से नहीं बल्कि साझेदारी से, वर्चस्व से नहीं बल्कि संवाद से, बहिष्कार से नहीं बल्कि समता से परिभाषित हो.''

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में अफ्रीका के साथ अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर है. उन्होंने कहा, ‘‘अफ्रीका में हमारी विकास साझेदारी 12 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की है. लेकिन इसका वास्तविक मूल्य, साझा विकास और साझा उद्देश्य में निहित है. हम स्थानीय स्तर पर कौशल निर्माण, रोजगार सृजन और नवाचारों का समर्थन जारी रखेंगे.'' अपने संबोधन में मोदी ने भारत और नामीबिया के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘भारत नामीबिया के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बहुत महत्व देता है.'' उन्होंने कहा कि भारत और नामीबिया के बीच सहयोग, संरक्षण और करुणा की एक सशक्त कहानी है.

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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में चीता को बसाने के कार्यक्रम और नामीबिया को रेडियोथेरेपी मशीन उपलब्ध कराने का जिक्र किया. मोदी ने कहा, ‘‘हम नामीबिया के वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और नेताओं की अगली पीढ़ी का समर्थन करने के लिए उत्साहित हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारा द्विपक्षीय व्यापार 80 करोड़ डॉलर को पार कर गया है, लेकिन क्रिकेट के मैदान की तरह, हम अभी तैयारी कर रहे हैं. हम तेजी से और ज्यादा रन बनाएंगे.''

मोदी ने पहली महिला राष्ट्रपति चुनने के लिए नामीबिया को बधाई दी और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए उसके संविधान की प्रशंसा की. मोदी ने कहा, ‘‘हमारा संविधान समानता, स्वतंत्रता और न्याय को कायम रखने के लिए मार्गदर्शन करता है.'' उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के संविधान की ही शक्ति है कि एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी आज भारत की राष्ट्रपति हैं. इसी संविधान ने मुझ जैसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया.''

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