- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो से नौ जुलाई तक पांच देशों का दौरा पूरा कर नई दिल्ली लौटकर भारत की वैश्विक कूटनीति को मजबूत किया है.
- घाना ने पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से सम्मानित किया, जो पिछले तीस वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री को मिला पहला सम्मान है.
- मोदी ने अपने कार्यकाल में कुल सत्रों में 17 विदेशी संसदों को संबोधित किया, जो सभी कांग्रेस प्रधानमंत्रियों के संयुक्त आंकड़े के बराबर है.
PM Modi's 5-nation tour: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2 से 9 जुलाई तक चले अपने पांच देशों के दौरे का समापन करते हुए गुरुवार सुबह नई दिल्ली लौट आए. इस राजनयिक यात्रा में घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया शामिल थे. साथ ही ब्राजील की अध्यक्षता में रियो डी जनेरियो में आयोजित 17 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी भी शामिल थी. पीएम मोदी अपनी इस कूटनीतिक यात्रा के साथ एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंच गए हैं. सवाल है कि पीएम मोदी के इस 5 देशों के दौरे का कुल जमा क्या रहा? चलिए समझने की कोशिश करते हैं.
पीएम मोदी का विदेश दौरा सिर्फ आंकड़ें नहीं
उन्होंने इस दौरे पर घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा नामीबिया के संसद को संबोधित किया. इसको मिलाकर पीएम मोदी ने अपने आज तक के कार्यकाल में विदेशी संसदों में 17 भाषण दिए हैं. यह आंकड़ा खास है क्योंकि आज तक के सभी कांग्रेस प्रधानमंत्रियों ने मिलाकर विदेशी संसद में 17 भाषण दिए हैं.
वैश्विक जुड़ाव का यह स्तर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबसे सक्रिय भारतीय नेताओं में से एक के रूप में पीएम मोदी की पोजीशन को मजबूत करता है. यह भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत है. उनका हालिया दौरा न केवल अफ्रीका और कैरेबियाई देशों के साथ भारत के नए संबंधों को रेखांकित करता है, बल्कि ग्लोबल साउथ के बीच भारत की आवाज की गूंज को भी रेखांकित करता है.
- घाना में, पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से सम्मानित किया गया. यह 30 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधान मंत्री की पहली घाना यात्रा थी.
- त्रिनिदाद और टोबैगो में, उन्होंने भारतीयों के आने के 180 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान संसद को संबोधित किया, जिसमें साथी विकासशील देशों के लिए भारत के स्थायी समर्थन का उल्लेख किया गया.
- जब उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों, तकनीकी साझेदारी और स्वास्थ्य और डिजिटल बुनियादी ढांचे में साझा आकांक्षाओं के बारे में बात की तो नामीबिया की संसद ने उनका खड़े होकर अभिनंदन किया.
पिछले कुछ वर्षों में, पीएम मोदी ने अलग-अलग देशों के विधायी निकायों को संबोधित किया है. 2014 में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, फिजी, भूटान और नेपाल के संसद में भाषण दिया. 2016 में ब्रिटेन, श्रीलंका, मंगोलिया, अफगानिस्तान और मॉरीशस के संसद को संबोधित किया. संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2016 और फिर 2023 में कांग्रेस के संयुक्त सत्र में उनका स्वागत किया.
उन्होंने 2018 में युगांडा, 2019 में मालदीव, 2024 में गुयाना और अब 2025 में तीन नए देशों को संबोधित किया. इन भाषणों में बार-बार समावेशी विकास, लोकतांत्रिक लचीलापन, जलवायु जिम्मेदारी और संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूटीओ जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार जैसे विषय पर जोर दिए जाते रहे.
भारत कटा नहीं रहेगा, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी मौजूदगी का एहसास कराएगा
अलग-अलग महाद्वीपों के देशों में जाकर वहां के संसद में सीधे बात करने की पीएम मोदी की क्षमता भारत की बढ़ती विश्वसनीयता और प्रभाव को दर्शाती है. पर्दे के सामने जो नजर आ रहा था, जो प्रतीक सामने रखे जा रहे थे, उन्होंने भी एक सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली भूमिका निभाई है.
नामीबिया में, जब उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला, तो संसद "मोदी, मोदी" के नारों से भर गया. यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत प्रशंसा नहीं है; यह वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती उपस्थिति का प्रतिबिंब है.
जब भारत 2026 में ब्रिक्स गुट की अध्यक्षता करने और शिखर सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी कर रहा है, तब भारत विभिन्न क्षेत्रों में अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत भी कर रहा है. भारत की साझेदारी और प्रगति का संदेश पहले से कहीं अधिक जोर से गूंज रहा है.