प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कृषि अर्थ शास्त्रियों के 32वें सम्मेलन का उद्घाटन किया. ये सम्मेलन भारत में 65 साल बाद आयोजित किया गया. इसमें 75 देशों के 1000 प्रतिनिधि शामिल हुए . कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ ही कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे. दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र में चल रहे इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे ग्रंथों में अन्न को औषधि बताया गया है. फूड, न्यूट्रिशन को लेकर दुनियाभर में चिंता है.भारत में 2 हजार साल पहले कृषि पराशर ग्रंथ लिखा गया था.
कृषि क्षेत्र हो रहा मजबूत
कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से सुधारों और उपायों के साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत कर रहे हैं. भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ा एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं. भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं. भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं.
अन्न सभी औषधियों का स्वरूप
पीएम मोदी ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन कृषि और भोजन को लेकर हमारी मान्यताएं और हमारे अनुभव हैं. भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता दी गई है. हजारों साल पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है इसलिए अन्न को सभी औषधियों का स्वरूप उनका मूल कहा गया है.
भारत प्राकृतिक खेती पर दे रहा बल
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा बनी हुई है. उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि वो उत्पादन मानव शरीर के लिए भी और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित उत्पादन हो.भारत अब प्राकृतिक खेती पर बल दे रहा है.