PM मोदी की चीन यात्रा से दिल्ली-बीजिंग संबंधों को मिलेगी नई दिशा, टाइमलाइन में समझें रिश्तों के उतार-चढ़ाव

PM नरेंद्र मोदी 30 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन का दौरा करेंगे. यह पीएम मोदी की 7 साल बाद पहली चीन यात्रा है.

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन जाएंगे.
  • भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंध 1950 में स्थापित हुए, लेकिन 1962 के सीमा संघर्ष ने इन्हें प्रभावित किया.
  • सैन्य और जल संसाधन सहयोग के लिए नियमित बैठकें होती रही हैं, जो दोनों देशों के सहयोग को बढ़ावा देती हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे. इस दौरान उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात होगी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम होगा.

भारत और चीन ने 1 अप्रैल 1950 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. लेकिन 1962 के सीमा संघर्ष ने इन संबंधों को झटका दिया. 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की शुरुआत की. इसके बाद 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा ने विशेष प्रतिनिधि प्रणाली का गठन किया और इसके बाद 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा ने रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा दिया.

2014 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा ने घनिष्ठ विकासात्मक साझेदारी की नींव रखी, जबकि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा ने इस गति को बनाए रखा. दोनों देशों ने 2018 में वुहान और 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाया. हालांकि, 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव ने संबंधों को प्रभावित किया. 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और जिनपिंग की मुलाकात से रिश्ते और बेहतर हुए.

इस यात्रा से पहले भी दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय मुलाकातें होती रही हैं. 2016 में जी20 हांग्जो और ब्रिक्स गोवा, 2017 में ब्रिक्स ज़ियामेन, 2018 में एससीओ क़िंगदाओ और 2019 में एससीओ बिश्केक और जी20 ओसाका जैसे आयोजनों में दोनों देशों के नेता मिले. 2022 में जी20 बाली में भी संक्षिप्त बातचीत हुई.

सीमा विवाद के समाधान के लिए 2003 से विशेष प्रतिनिधि प्रणाली के तहत 24 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं. हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से मुलाकात की. परामर्श और समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 27 बैठकें और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 19 बैठकें हो चुकी हैं, जिनका फोकस 2020 से लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर है. जल संसाधन सहयोग के लिए 2006 से विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) काम कर रहा है, जिसकी 14 बैठकें हो चुकी हैं. उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने का एक और अवसर होगी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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