केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के सीमावर्ती गांवों और दिल्ली के बीच भले ही लंबी दूरी हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' के जरिये दिलों को करीब लाया है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित कुछ गांवों के सरपंचों से बात करते हुए शाह ने कहा कि देश के प्रथम गांव माने जाने वाले सीमावर्ती गांवों को विकसित किये बगैर एक विकसित भारत का निर्माण नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि भारत के सीमावर्ती गांवों और दिल्ली के बीच की भले ही लंबी दूरी हो, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' के जरिये दिलों को करीब लाए हैं.
अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख के 19 सीमावर्ती क्षेत्रों के 3,000 गांवों को इस कार्यक्रम के तहत लाया जा रहा है और यह कार्यक्रम 10 वर्षों में पूरा हो जाएगा.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन गांवों का व्यापक विकास करना है, ताकि लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके और इस तरह पलायन को रोका जा सके.
कार्यक्रम में कृषि, बागवानी, पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के माध्यम से आजीविका सृजन के अवसर पैदा करने के लिए हस्तक्षेप किये जाने वाले क्षेत्रों की परिकल्पना की गई है.
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि सीमावर्ती गांव अंतिम नहीं, बल्कि देश के प्रथम गांव है.
उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण में 1,42,000 की कुल आबादी वाले 662 गांवों को कवर किया जा रहा है और सरकार इस पर 4,800 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के अतिथि के रूप में वाइब्रेंट गांवों के लोगों के साथ पंच एवं सरपंच नयी दिल्ली की यात्रा कर रहे हैं और उन्होंने उनका पूरा खयाल रखा है.
शाह ने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड भारत की संस्कृति, सैन्य और मानवबल का प्रदर्शन है, जिसे पूरी दुनिया चकित होकर देखती है.
वाइब्रेंट गांवों से आए विशेष अतिथियों ने प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी दौरा किया. गणतंत्र दिवस के अगले दिन वे ‘‘भारत पर्व'' में हिस्सा लेंगे.
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