उस दिन वो पूरी रात सोए नहीं... शिवराज सिंह ने सुनाया प्रधानमंत्री से यादगार मुलाकात का किस्सा

शिवराज सिंह चौहान ने कहा “मैं भी उस यात्रा का हिस्सा था और पहली बार मैंने मोदी जी को बेहद करीब से देखा. उनके भीतर एक जिद, जुनून और जज्बा था कि लाल चौक पर तिरंगा जरूर लहराना है.”

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PM Modi
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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर देशभर से उन्हें शुभकामनाओं का तांता लगा है
  • शिवराज सिंह चौहान ने मोदी से पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए अपनी यादों को साझा किया है
  • शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उस समय कश्मीर घाटी में आतंकवाद था और लाल चौक पर तिरंगा फहराना असंभव माना जा रहा था
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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर देशभर से शुभकामनाओं का तांता लगा. इस मौके पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बधाई देते हुए मोदी जी से अपनी पहली मुलाकात का किस्सा साझा किया. चौहान ने बताया कि उनकी और मोदी जी की पहली भेंट 1992-93 में हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी ने कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक एकता यात्रा निकालने का फैसला किया था. इस यात्रा का नेतृत्व डॉ. मुरली मनोहर जोशी कर रहे थे और पूरी यात्रा की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को सौंपी गई थी.

लाल चौक पर हुआ ऐतिहासिक क्षण

चौहान ने बताया कि उस समय कश्मीर घाटी में आतंक का बोलबाला था. लाल चौक पर तिरंगा फहराना असंभव सा माना जा रहा था. लेकिन जब 26 जनवरी को यात्रा श्रीनगर पहुंची, तो लाखों की उम्मीदों और मोदी जी के प्रबंधन से डॉ. जोशी ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया. चौहान ने कहा “मैं भी उस यात्रा का हिस्सा था और पहली बार मैंने मोदी जी को बेहद करीब से देखा. उनके भीतर एक जिद, जुनून और जज्बा था कि लाल चौक पर तिरंगा जरूर लहराना है.”

यात्रा से जुड़ा भावुक क्षण

चौहान ने याद किया कि सुरक्षा कारणों से जब आम कार्यकर्ताओं को लाल चौक ले जाने से रोका गया, तो हजारों कार्यकर्ता निराश और गुस्से से भरे थे. बाद में जब मोदी जी लौटकर जम्मू पहुंचे और कार्यकर्ताओं से मिले, तो उनका गला भर आया. चौहान ने कहा “मैंने पहली बार देखा कि कठोर अनुशासन और दृढ़ संकल्प से दिखने वाले मोदी जी कितने संवेदनशील इंसान हैं. वो पूरी रात सोए नहीं, केवल इस बात का दर्द था कि उनके साथी कार्यकर्ता लाल चौक पर तिरंगा फहराने के साक्षी नहीं बन पाए.”

शिवराज सिंह चौहान ने मोदी जी को उस दौर से याद करते हुए कहा कि वह केवल यात्रा के प्रबंधक नहीं थे, बल्कि हर कार्यकर्ता के मन से जुड़े हुए थे. उपयात्राओं का विचार लाकर उन्होंने इसे राष्ट्रीय आंदोलन बना दिया. चौहान के शब्दों में “मोदी जी में संगठन से जोड़ने और हर कार्यकर्ता की पीड़ा समझने की अद्भुत क्षमता है."

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