वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 पेश कर दिया है. इस बजट में उन्होंने कई बड़ी घोषणाएं की हैं, जिनमें से एक अहम घोषणा युवाओं को इंटर्नशिप के लिए प्रेरित करना और उनके लिए इंटर्नशिप के मौके बढ़ाने का भी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की है कि मोदी सरकार की 5वीं नई योजना के तहत 500 बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप को बढ़ावा दिया जाएगा. सरकार की इंटर्नशिप योजना से 1 करोड़ युवाओं को फायदा होगा. मोदी सरकार की युवाओं के लिए घोषित बजट में घोषित 5 हजार महीने वाली इंटर्नशिप स्कीम को लेकर अभी भी किंतु-परंतु का दौर चल रहा है. यह इंटर्नशिप मिलेगी कैसे और कौन सी कंपनियों इसे देगीं, इस पर हर दिन कोई ना कोई नई बात सामने आ रही है. अब ताजा अपडेट यह है कि सरकार की 500 कंपनियों से इस पर बातचीत चल रही है और बताया जा रहा है कि एक स्वैच्छिक कोटा सिस्टम पर सहमति बन चुकी है.
इंटर्नशिप के लिए कौन है योग्य?
इस इंटर्नशिप के लिए 21 से 24 साल की उम्र वाले युवा आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए आवेदक को किसी भी नौकरी या फुल टाइम एजुकेशन में शामिल नहीं होना चाहिए. वहीं IIT, IIM, IISER, CA, CMA जैसी संस्थाओं से क्वालिफाइड उम्मीदवार भी इसके लिए पात्र नहीं हैं. इंटर्नशिप के लिए अप्लाई करने वाले उम्मीदवार के परिवार का कोई भी सदस्य आयकरदाता या सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए. इस इंटर्नशिप की अवधि कुल 12 महीने की होगी. इस दौरान कंपनियों को इंटर्न को अपने कामकाज से रूबरू कराना होगा.
इंटर्नशिप के लिए मिलेगा कितना पैसा
सरकार अपनी इस इंटर्नशिप योजना के जरिए हर महीने 5,000 रुपये का पेमेंट करेंगी. क्योंकि इंटर्नशिप की अवधि कुल 12 महीने की होगी. इस लिहाज से देखा जाए तो 12 महीने की इंटर्नशिप के लिए कुल लागत 60,000 रुपये का पेमेंट किया जाएगा. इसके अलावा अन्य खर्चों के लिए एकमुश्त 6,000 रुपये एक्स्ट्रा भी दिए जाएंगे. जिसमें से 54,000 रुपये मासिक भत्ते के तौर पर मिलेंगे और 6,000 रुपये आकस्मिक अनुदान के तौर पर. कंपनियों को सीएसआर फंड से 6,000 रुपये (इंटर्नशिप भत्ते का 10%) और ट्रेनिंग कोस्ट भी उठानी पड़ेगी.
किस सिस्टम के तहत मिलेगी इंटर्नशिप
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “कोटा प्रणाली” इन कंपनियों के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) व्यय पर आधारित होगी. सोमनाथन ने कहा कि इसके विवरण पर अभी काम होना बाकी है, और इस बारे में परामर्श से किया जाएगा. हमारे पास शायद किसी तरह की स्वैच्छिक कोटा प्रणाली हो, जिस पर आपसी सहमति हो, हम उन्हें कौशल विकास के लिए अपनी बैकवर्ड और फॉरवर्ड सप्लाई चेन का उपयोग करने की भी अनुमति देंगे.” सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है कि हाशिये पर रहने वाले लोग इस इंटर्नशिप योजना का अधिकतम लाभ उठा सकें. वित्त सचिव ने कहा कि प्रशिक्षुओं का चयन "उद्देश्यपूर्ण मानदंड" के माध्यम से किया जाएगा.
हम इस बारे में सुझावों के विकल्प खुले रहेंगे कि इसे कैसे सबसे बेहतर तरीके से किया जाए. उन्होंने कहा कि चूंकि ये शीर्ष 500 कंपनियां हैं, इसलिए उन्हें अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी होगी और इसलिए (इंटर्नशिप की) गुणवत्ता भी अच्छी होगी. योजना तैयार करने में शामिल सूत्रों के अनुसार, पैकेज के तहत योजनाओं के कौशल वाले हिस्से में निजी क्षेत्र को शामिल करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार था. वहीं नाम न बताने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा, "कौशल योजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करने का विचार प्रधानमंत्री का था. अपने अनुभव के आधार पर उनका मत था कि इन योजनाओं में कौशल वाला हिस्सा निजी क्षेत्र को ही करना है और सरकार इसे अकेले नहीं कर सकती."