PM-CARES सार्वजनिक या निजी कोष? दस्तावेजों में है विरोधाभास

पीएम-केयर्स फंड को दिल्ली के राजस्व विभाग में पंजीकृत किया गया है, इसमें प्रधानमंत्री को ट्रस्ट का अध्यक्ष बताया गया है

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पीएम नरेंद्र मोदी पीएम केयर्स फंड के ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

कोविड (Covid) के लिए बनाया गया पीएम केयर्स फंड (PM-CARES fund) एक निजी ट्रस्ट है या सरकारी ट्रस्ट है? हालांकि इसे कॉरपोरेट दान के उद्देश्य से सरकारी ट्रस्ट के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन ट्रस्ट के दस्तावेजों में एक क्लाज इसे एक निजी संस्था बताता है, जो इसे आरटीआई के दायरे से बाहर रहने की छूट देता है. पीएम-केयर्स फंड को दिल्ली के राजस्व विभाग में पंजीकृत किया गया है, इसमें प्रधानमंत्री को ट्रस्ट का अध्यक्ष बताया गया है. लेकिन अब ट्रस्ट की जो डीड सार्वजनिक की गई है, वह इसे सरकारी ट्रस्ट के रूप में परिभाषित नहीं करती है.

ट्रस्ट डीड के बिंदु क्रमांक 5.3 में कहा गया है: "ट्रस्ट का न तो कोई उद्देश्य है और न ही वास्तव में स्वामित्व, नियंत्रित या किसी सरकार या सरकार के किसी भी उपकरण द्वारा वित्तपोषित है. ट्रस्ट के कामकाज में केंद्र सरकार या राज्य सरकारों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रकार से कोई नियंत्रण नहीं है.''

पीएम-केयर्स या प्रधानमंत्री की ओर से नागरिक सहायता और आपात स्थिति के लिए राहत कोष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च में बनाया गया. यह "कोरोनो वायरस महामारी जैसी आपातकालीन या संकटपूर्ण स्थितियों से निपटने" के लिए स्थापित किया गया था. इसका प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में पीएम मोदी और वरिष्ठ कैबिनेट सदस्य, जो कि इसके ट्रस्टी हैं, द्वारा किया जाता है.

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इस ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन 27 मार्च को किया गया था. इसके ठीक एक दिन बाद 28 मार्च को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कॉर्पोरेट दान प्राप्त करने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के रूप में पीएम-केयर्स को सक्षम बनाने के लिए एक आफिस मेमोरेंडम जारी किया.

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कंपनी अधिनियम, जो कि कॉर्पोरेट दान के लिए योग्य गतिविधियों को परिभाषित करता है, में लिखा है:  “प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्थापित किसी अन्य निधि में आर्थिक योगदान अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के कल्याण और राहत के लिए है."

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एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज हासिल किए हैं जिनसे पता चलता है कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने 28 मार्च को आफिस मेमोरेंडम जारी करते हुए इसे "केंद्र सरकार द्वारा स्थापित फंड" के रूप में परिभाषित किया. लेकिन एक दिन पहले की ट्रस्ट डीड में कहा गया है कि यह सरकार द्वारा संचालित नहीं है, इसलिए पीएम-केयर्स कॉर्पोरेट दान के लिए पात्र नहीं हो सकता था.

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इसके लगभग दो महीने बाद 26 मई को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने 28 मार्च से पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ कंपनी अधिनियम में पीएम-राष्ट्रीय राहत कोष के अलावा पीएम-केयर्स फंड को जोड़ा. जिसका अर्थ है कि दो महीने के लिए पीएम-केयर्स एक निजी संस्था थी जो कॉर्पोरेट दान प्राप्त कर रही थी.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 20 अगस्त को एक ट्वीट में सवाल उठाया था: "अगर फंड एक निजी स्थापित फंड है, तो सीएसआर के नाम पर फंड को दान क्यों दिया जाता है?"

एनडीटीवी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ एक आरटीआई आवेदन दायर किया था और उसी ट्रस्ट डीड के लिए अनुरोध किया था, लेकिन इस अनुरोध को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि फंड सार्वजनिक इकाई नहीं है.

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