CBSE की परीक्षा रद्द होने पर एग्जाम फीस वापस करने की मांग को लेकर दिल्ली HC में याचिका

याचिका में कहा गया है कि परीक्षा रद्द होने की सूरत में छात्रों से 10वीं और 12वीं के परीक्षा शुल्क के रूप में एकत्र किए गए पैसे को रखना पूरी तरह अनुचित है.

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बच्चों से परीक्षा शुल्क के रूप में लिए गए पैसे रिफंड करने की मांग (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और अन्य को 10वीं और 12वीं के छात्रों का परीक्षा शुल्क (Examination Fees) वापस करने का आदेश देने की मांग की गई है. कोरोना महामारी के चलते सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं. याचिका में छात्रों से वसूले गए परीक्षा शुल्क को वापस करने की मांग की गई है. 

याचिका में कहा गया है कि परीक्षा रद्द होने की सूरत में छात्रों से 10वीं और 12वीं के परीक्षा शुल्क के रूप में एकत्र किए गए पैसे को रखना पूरी तरह अनुचित है. याचिका में यह भी कहा गया है कि एग्जाम फीस के रूप में सीबीएसई को करोड़ों रुपये प्राप्त हुए हैं. 

याचिकाकर्ता दीपा जोसेफ एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ ही सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे की मां भी हैं. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 

याचिका में सीबीएसई और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नई परीक्षा रिफंड नीति तैयार करने पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, जिसमें महामारी जैसी स्थितियों और उसके बाद परीक्षा रद्द होने की सूरत में फीस वापस की जाएगी. 

अधिवक्ता रॉबिन राजू के जरिये दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कगा कि सीबीएसई ने  छात्रों से परीक्षा आयोजित करने वाले शुल्क के तौर पर रकम ली हैं, ऐसे में जब अब परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं तो सीबीएसई का कोई खर्च नहीं हुआ है, ऐसे में शुल्क वापस किया जाना चाहिए. परीक्षा शुल्क में कॉपी, परीक्षक, निरीक्षक, एग्जाम सेंटर पर व्यय सहित अन्य खर्च शामिल होते हैं. जब परीक्षा रद्द करने से इन मदों में कोई खर्च नहीं किया गया है तो केंद्र और सीबीएसई को परीक्षा शुल्क के रूप में ली गई रकम को वापस करना चाहिए.

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