नागालैंड से हथियार चुराकर मणिपुर में बेचने का प्लान, पुलिसकर्मी सहित छह गिरफ्तार

नागालैंड पुलिस स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रख रही है. राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, हथियार मणिपुर में लोगों को बेचे जाने थे

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नागालैंड के पुलिस इंस्पेक्टर को हथियारों के बदले कथित तौर पर 4.25 लाख रुपये दिए गए थे.
गुवाहाटी:

नागालैंड पुलिस के शस्त्रागार से हथियार चुराने और उसे मणिपुर के लोगों तक पहुंचाने की कोसिश के आरोप में एक पुलिसकर्मी, चार नागरिकों और एक स्थानीय बंदूकधारी को गिरफ्तार किया गया है. मणिपुर में महीनों से चली आ रही जातीय झड़पों में कम से कम 160 लोग मारे गए हैं. गिरफ्तार लोगों पर इंसास आटोमैटिक राइफलों और सेल्फ-लोडिंग राइफलों में इस्तेमाल होने वाले हजारों राउंड चुराने का आरोप है. चू-मौ-केडिया में एक केंद्रीय भंडार से गोला-बारूद की चोरी की जा रही थी.

माइकल यानथन के रूप में पहचाने जाने वाले पुलिस निरीक्षक को गोला-बारूद हासिल करने के लिए कथित तौर पर 4.25 लाख रुपये दिए गए थे.

नागालैंड के पुलिस महानिदेशक रूपिन शर्मा ने कहा, "इंस्पेक्टर स्टोर का प्रभारी था. उसने हथियार और गोला-बारूद चुराने में अपनी व्यक्तिगत क्षमता का उपयोग किया. इसमें साजिश का कोई पहलू नहीं पाया गया है. पुलिस स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रख रही है. हथियारों मणिपुर में लोगों को बेचे जाने थे."

सूत्रों का कहना है कि पुलिस को 9 जुलाई को एक गुप्त सूचना मिली और अगले ही दिन एक कार से 2,500 राउंड जिंदा गोला बारूद जब्त करने और दो लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली. 

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों ने पुलिस को एक सशस्त्र विद्रोही गुट के एक नेता की इसमें संलिप्तता के बारे में बताया है. उसने इस काम में एक अन्य बिचौलिए और अंत में शस्त्रागार के प्रभारी नागालैंड पुलिस के निरीक्षक की मदद ली.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. दस साल पहले एनडीटीवी की एक पड़ताल में पता चला था कि नागालैंड के कुछ हिस्से, विशेष रूप से दीमापुर, अवैध हथियारों की बिक्री का केंद्र थे और पूरे पूर्वोत्तर में आपूर्ति की जाती थी.

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पूरे मणिपुर में शस्त्रागारों पर छापे का मतलब है कि राज्य में सुरक्षा बल उन चरमपंथियों से लड़ना जारी रख रहे हैं जिन्होंने बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक आटोमैटिक राइफलें और गोला-बारूद चुराया है.

मणिपुर 70 दिनों से संकट से घिरा है. हथियारों ने स्थिति को बेहद अस्थिर बना दिया है. तीन मई को दो समुदायों के बीच नौकरी में कोटा और भूमि अधिकारों को लेकर हिंसा भड़क उठी और तब से रुक-रुक कर झड़पें जारी हैं.

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