PHOTOS: बस्तर के इतिहास में सिलगेर अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन, जानें पूरा मामला

 सुकमा के सिलगेर में 17 मई, 2021 को एक कैंप के विरोध में उतरे आदिवासियों पर कथित तौर पर सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी गई, जिसमें 14 वर्षीय उइका पांडु,कोवासी वागल और उर्सा भीमा की मौत हुई, भगदड़ की चपेट में आने से गर्भवती पुनेम सोमली ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, 40 लोग घायल हुए.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
जानें सिलगेर आंदोलन क्यों चल रहा है, क्या है मांगें...

बस्तर के इतिहास में सिलगेर आंदोलन आज तक का सबसे बड़ा आंदोलन है. सुकमा जिले के सिलेगर में मई में सीआरपीएफ कैंप स्थापित किया गया था, 17 मई, 2021 को कैंप का विरोध कर रहे तीन ग्रामीणों की गोली लगने से और एक की भगदड़ में मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों ने 15 से 17 मई तक सिलगेर कांड की बरसी मनाने का ऐलान किया. ग्रामीणों की मांग है दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिले.

 सुकमा के सिलगेर में 17 मई को एक कैंप के विरोध में उतरे आदिवासियों पर कथित तौर पर सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी गई, जिसमें 14 वर्षीय उइका पांडु,कोवासी वागल और उर्सा भीमा की मौत हुई, भगदड़ की चपेट में आने से गर्भवती पुनेम सोमली ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, 40 लोग घायल हुए. 

ग्रामीणों का कहना है कि 11 मई की रात को बगैर उनकी सहमति के कैंप बना दिया गया जो अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार अधिनियम (पेसा) 1996 के तहत अवैध है. आंदोलन में मौजूद ग्रामीण हाजत कहते हैं 295 लोगों पर लाठीचार्ज किया गया है, 15000 पब्लिक थी उस दिन वहां 3 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया इसलिये बस्तर से पूरी पुलिस फोर्स वापस जाने की मांग है हमारी.

साल भर हो गया, कैलेंडर में तारीख बदली, दुनिया में मौसम, बारिश, ठंड, गर्मी ये आदिवासी यहीं डटे हैं. वहां मौजूद गंगी मंडावी कहती हैं हम लोग यहां कैंप हटाने के लिये डटे हैं, गांव में कैंप लाकर हमें नक्सली बोलते हैं, गांव में महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं. सिलगेर कैंप नहीं चाहिए इसलिए धरना जारी रखा है. ये पेड़ों को काट रहे हैं, सड़क बड़ा क्यों बनाना है, पुलिस गश्त में आती है गांववालों को पकड़ कर जेल ले जाते हैं, नहीं हटेंगे ये जारी रहेगा. उनकी साथी कहती हैं, बस्तर में लोकल गांव में कैंप नहीं लगाना चाहिए, रोड बनाते बनाते कैंप ला रहे हैं, फॉरेस्ट वाले आकर जंगल को जब्त कर रहे हैं इसलिये हम लोग विरोध कर रहे हैं. जिस गांव में कैंप का विरोध है, वहां आजादी के 73 साल बाद भी बिजली के तार नहीं पहुंचे हैं. 1,200 की आबादी हैं, जिसमें गोंड, मुरिया प्रमुख हैं. वनोपज से जीवन चलाते हैं. जिस सड़क को बनाने के लिए सिलगेर में कैंप स्थापित किया जा रहा है वो जगरगुंडा को बीजापुर के आवापल्ली से जोड़ती है. सलवा जुडूम से पहले सब ठीक था, लेकिन फिर सब ठहर सा गया. सिलगेर में ग्रामीणों की मांग है दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिले 5 लाख नहीं एक करोड़, लेकिन ज़िला प्रशासन कहता है लोग मुआवज़ा नहीं ले रहे हैं.

Advertisement

कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने कहा कि हमारे यहां चेक बनकर तैयार है, 5 लाख अभी की तारीख में सरकार मुआवज़ा देती है, डिमांड अलग-अलग है. एक करोड़ रुपये की मांग है. काफी केस वापस हुए हैं गांववालों के खिलाफ, लेकिन सारे मामले हटाने के लिये शासन को निर्णय लेना है.सरकार का कहना है कि लोग नक्सलियों के दबाव में बैठे हैं, विकास से कोई नाराज़गी नहीं है, लेकिन विपक्ष ग्रामीणों की मौत पर सरकार को घेर रहा है. मुख्यमंत्री - भूपेश बघेल ने कहा कि लोग सिलगेर में साल भर से बैठे हैं, मैं कई लोगों से मिला बात की, लेकिन वो नक्सलियों के दबाव में बैठे हैं, ये स्थिति है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा राहुल गांधी को खुश करने के लिये हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 50 लाख की घोषणा दूसरे राज्य में जाकर करते हैं, यहां के लोगों के लिये कुछ नहीं ... ये है छत्तीसगढ़ की सरकार, कांग्रेस की नीति.प्रदर्शनकारी न्यायिक जांच की मांग और 1 करोड़ मुआवजे की मांग कर रहे हैं, सरकार ने 12 अगस्त को एसडीएम से जांच तो करवाई थी, लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Maharashtra Cabinet Portfolio: पहली बार Ajit Pawar का Chhagan Bhujbal पर निशाना
Topics mentioned in this article