राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना

पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ऐसी निरर्थक याचिकाएं दायर करने से न केवल अदालत का बल्कि, पूरी रजिस्ट्री का कीमती समय बर्बाद होता है.’’

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अगस्त में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी. (फाइल)
नई दिल्ली :

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने ‘‘निरर्थक'' याचिकाएं दाखिल करने को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) की लोकसभा सदस्यता बहाल करने वाली अधिसूचना को रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. उच्चतम न्यायालय ने ‘मोदी' उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में चार अगस्त, 2023 को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी.

उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने के तीन दिन बाद सात अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी कर गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी थी.

लखनऊ निवासी अशोक पांडे द्वारा दाखिल याचिका न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मामले की सुनवाई के लिए दो बार बुलाये जाने के बावजूद पांडे उसके समक्ष पेश नहीं हुए.

इसने याचिकाकर्ता द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर अदालत द्वारा सुनाए गए दो पिछले आदेशों का भी हवाला दिया.

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछली याचिकाओं को क्रमश: पांच लाख रुपये और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया था.

पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ऐसी निरर्थक याचिकाएं दायर करने से न केवल अदालत का बल्कि, पूरी रजिस्ट्री का कीमती समय बर्बाद होता है.''

लोकसभा अध्‍यक्ष सहित इन्‍हें बनाया था प्रतिवादी

याचिकाकर्ता ने याचिका में लोकसभा अध्यक्ष, भारत सरकार, निर्वाचन आयोग और राहुल गांधी को प्रतिवादी बनाया था.

पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मुद्दा उसकी पिछली याचिका में उठाये गये मुद्दे जैसा ही था और पिछले साल अक्टूबर में एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ इस याचिका को खारिज कर दिया गया था.

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अक्टूबर में खारिज की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को बहाल किये जाने को चुनौती दी थी.

राहुल गांधी को सुनाई गई थी दो साल की सजा 

कांग्रेस नेता को 24 मार्च को संसद सदस्य के रूप में तब अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें ‘मोदी' उपनाम के बारे में की गई टिप्पणियों के लिए दोषी ठहराया था और आपराधिक मानहानि के लिए दो साल की कैद की सजा सुनाई थी.

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उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की गांधी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि ‘‘राजनीति में शुचिता'' समय की मांग है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में ‘मोदी' उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. गांधी ने सभा में टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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