मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की लीज रद्द करने के खिलाफ याचिका खारिज

रिट याचिका दायर करते हुए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी कमेटी ने दलील दी थी कि उसे अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर लीज़ रद्द कर दी गई. हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया.

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की रिट याचिक खारिज कर दी.
प्रयागराज:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की लीज रद्द करने के निर्णय को चुनौती देने वाली रिट याचिका सोमवार को खारिज कर दी. यह निर्णय न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ द्वारा पारित किया गया. इससे पूर्व, अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील और प्रदेश के महाधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद 18 दिसंबर, 2023 को निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता ने बिना कारण बताओ नोटिस के लीज रद्द किए जाने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि जनहित सर्वोच्च है. उन्होंने कहा था कि जो जमीन उच्च शिक्षा (अनुसंधान संस्थान) के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई थी, उसका उपयोग रामपुर पब्लिक स्कूल चलाने के लिए किया जा रहा था.

महाधिवक्ता ने विशेष जांच दल (एसआईटी) की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया था, जिसमें कहा गया कि लीज रद्द करने से पूर्व याचिकाकर्ता ट्रस्ट को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया.

महाधिवक्ता ने दलील दी थी कि यह भाई-भतीजावाद का मामला है, जिसमें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्वयं उस निजी ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो यह संस्थान चला रहा था और कानून में निर्धारित प्रक्रियाओं को दरकिनार कर उनके द्वारा सभी मंजूरियां दी गईं थीं.

यह रिट याचिका दायर करते हुए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी कमेटी ने दलील दी थी कि उसे अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर लीज़ रद्द कर दी गई.

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