"20 करोड़ दोगे तो केस बंद होगा..." ED के नाम पर निप्पॉन इंडिया के चीफ को ठगने की साजिश में 10 लोग गिरफ्तार

गिरोह ने निप्पॉन इंडिया के अध्यक्ष हरदेव सिंह को फंसाने के लिए जाल बिछाया था. इसमें एक सदस्य ईडी के सहायक निदेशक के रूप में भी काम कर चुका था, जो सिंह से जुड़े एक फर्जी मामले की देखरेख कर रहा था. दो अन्य ने सहायक निदेशक के पीए और ड्राइवर को ‘भारत सरकार’ स्टिकर लगे वाहन चलाने के रूप में पेश किया.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के साथ मिलकर एक शातिर गैंग के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इस गैंग ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नाम पर निप्पॉन इंडिया पेंट्स लिमिटेड के अध्यक्ष से 20 करोड़ रुपये की वसूली करने की साजिश रची थी. यह गैंग कॉरपोरेट और अमीर व्यापारियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नकली समन भेजकर निशाना बनाता था. गिरोह ने निप्पॉन इंडिया के अध्यक्ष हरदेव सिंह को फंसाने के लिए जाल बिछाया था. इसमें एक सदस्य ईडी के सहायक निदेशक के रूप में भी काम कर चुका था, जो सिंह से जुड़े एक फर्जी मामले की देखरेख कर रहा था. दो अन्य ने सहायक निदेशक के पीए और ड्राइवर को ‘भारत सरकार' स्टिकर लगे वाहन चलाने के रूप में पेश किया.

गिरोह ने मामले को निपटाने के लिए सिंह से 20 करोड़ रुपये की मांग की. खुद को ईडी अधिकारी बताने वाला संदिग्ध असम राइफल्स में काम करता है. बदमाशों ने करोड़ों रुपये नहीं देने पर एमएनसी के एक्जीक्यूटिव की संपत्ति कुर्क करने की धमकी दी. दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो खुद को नेता बताता था, वह वास्तव में एक राजनीतिक दल का सदस्य है. गिरफ्तार लोगों की पहचान अखिलेश मिश्रा, दर्शन हरीश जोशी, विनोद कुमार पटेल, धर्मेंद्र कुमार गिरी, नरेश महतो, असरार अली, विष्णु प्रसाद, देवेंद्र कुमार दुबे और गजेंद्र के रूप में हुई है.


विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रविंद्र सिंह यादव ने कहा कि निप्पॉन इंडिया पेंट्स लिमिटेड के अध्यक्ष हरदेव सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें ईडी के दो नोटिस मिले हैं. यादव ने कहा, ‘उनके सहयोगी को अखिलेश मिश्रा ने सूचित किया था कि ईडी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है और वह अपने सूत्रों के माध्यम से मामले को सुलझाने में उनकी मदद कर सकते हैं.' 

मिश्रा ने फिर फोन किया और कहा कि वह ईडी कार्यालय में अपने संपर्कों की मदद से इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं. बाद में सिंह को स्पीड पोस्ट के जरिए कई नोटिस भेजे गए. पुलिस ने कहा, ‘उसने आरोपियों में से एक से संपर्क किया, जिसने शुरू में 2-3 करोड़ रुपये की मांग की और उसे दिल्ली में मिलने के लिए कहा.'


9 नवंबर से 14 नवंबर के बीच मिश्रा, उनके बेटे और जोशी ने कई बार अलग-अलग मोबाइल नंबरों से शिकायतकर्ता से संपर्क करने की कोशिश की और उन्हें धमकाने की कोशिश की. 11 नवंबर को सिंह ने जोशी से फोन पर बात की और नोटिस रद्द कराने के लिए रकम की बातचीत करने लगे, जिस पर आरोपी ने समझौता कराने के लिए मिलने की जिद की. 12 नवंबर को शिकायतकर्ता ने मिश्रा और जोशी से मुंबई एयरपोर्ट पर मुलाकात की. 

 एक आरोपी ने शिकायतकर्ता को बताया कि उसकी हजारों करोड़ की संपत्ति ईडी को मिली है और मामला करोड़ों रुपये से ही सुलझेगा, जिसके लिए मिश्रा और जोशी को दिल्ली जाना होगा. सिंह ने दोनों आरोपियों के लिए मुंबई से दिल्ली के लिए 14 नवंबर का हवाई टिकट बुक कराया और अशोका होटल में मुलाकात तय हुई. इस बीच आरोपियों ने सेटलमेंट के लिए 20 करोड़ रुपये की मांग की.

ईडी के अधिकारियों ने कहा कि लोगों को ऐसे गैंगस्टरों के झांसे में नहीं आना चाहिए. ऐसे प्रत्येक दस्तावेज पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन करके एजेंसी के नाम पर जारी किए गए समन की प्रामाणिकता की जांच करनी चाहिए.

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