मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में विदेश से लाए गए एक और चीते की मौत हो गई है. जिस चीते की मौत हुई उसका नाम पवन बताया जा रहा है. पवन को नामीबिया से भारत लाकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. एक और चीते की मौत को 'प्रोजेक्ट चीता' के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पिछले साल सितंबर में लाए गए 8 चीतों में से एक पवन चीते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था.
अगस्त महीने में दूसरे चीते की मौत
इस महीने कूनो में चीते की यह दूसरी मौत है, इससे पहले 5 अगस्त को एक शावक की मौत हो गई थी. सितंबर 2022 में पहले बैच को जंगल में छोड़ने के बाद से चार शावकों सहित एक दर्जन चीते मर चुके हैं. गौर करने वाली बात ये है कि तमाम कोशिशों के बाद भी चीतों की मौत का ये सिलसिला अभी भी नहीं थम रहा है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पवन नाम का चीता कूनो में पैदा हुए तीन शावकों में से दो का पिता था जो कि खुले में रहने वाला एकमात्र चीता था. चीते की देखभाल करने वालों ने पवन को 'घुमक्कड़' नाम दिया था.
नामीबिया, अफ्रीका से लाए गए चीता
पवन आठवां वयस्क चीता है जिसकी मौत हुई है. सितंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच दो अलग-अलग चरणों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे. पवन की मौत के बाद अब, कूनो में 24 चीते हैं, जिनमें 12 वयस्क और 12 शावक है. पवन अन्य चीतों में सबसे ताकतवर और फुर्तीला था. इसलिए उसे खुले जंगल में घूमने के लिए छोड़ा गया था. लेकिन पवन की मौत इस प्रोजेक्ट के लिए एक बड़ा झटका है, जिसकी जांच की जा रही है.
नाले में मरा हुआ मिला पवन चीता
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेडियो कॉलर पहने पवन को मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे एक नाले के पास मृत पाया गया. एक अधिकारी ने कहा, "हाल ही में हुई बारिश के कारण नाला भर गया था और चीते के शरीर का अगला आधा हिस्सा पानी में डूबा हुआ था." कोई बाहरी चोट नहीं देखी गई. मौत का प्रारंभिक कारण डूबने का संदेह है, अधिकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. सबसे मजबूत चीते 'पवन' की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पवन की मौत से कूनो के अन्य चीतों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है.
5 अगस्त को गामिनी नाम का चीता पेड़ से गिरने के बाद रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से मर गया. पवन के सभी सात शावक जीवित हैं. पवन चीते को बेहद साहसी भी माना जाता था. पवन ने कुनो के संरक्षित क्षेत्र से 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक बढ़ा दिया.