छठे चरण के मतदान के बीच चुनाव आयोग ने भारत की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाने वालों को कड़ा जवाब दिया है.
चुनाव आयोग (Election Commission) ने आज छठे चरण के मतदान के बीच लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha elections 2024) के पांच चरणों के मतदाताओं की पूरी संख्या जारी कर दी. साथ ही एक बयान में चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया को खराब करने के लिए झूठी कहानियां और शरारती डिजाइन का एक पैटर्न उसने नोट किया है. चुनाव आयोग का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रत्येक बूथ पर मतदान समाप्त होने के 48 घंटों के भीतर डाले गए और खारिज किए गए वोटों सहित मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने की मांग वाली याचिकाओं को लोकसभा चुनाव के बाद तक के लिए स्थगित करने के एक दिन बाद आया. याचिकाओं में चुनाव आयोग को 2024 के लोकसभा चुनावों में अगले दौर के मतदान से शुरू होने वाले प्रत्येक चरण के बाद इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर संकलित (Compile) करने और प्रकाशित (Publish) करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. लोकसभा चुनाव का सातवां और अंतिम चरण 1 जून को है.
चुनाव आयोग ने बयान में आगे कहा कि मतदान डेटा जारी करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों और फैसले से वह खुद को मजबूत महसूस कर रहा है. चुनाव आयोग ने कहा, "यह आयोग पर निर्विवाद संकल्प के साथ चुनावी लोकतंत्र की सेवा करने की एक उच्च जिम्मेदारी लाता है." चुनाव आयोग ने कहा कि 19 अप्रैल को चुनाव शुरू होने के दिन से मतदान के आंकड़ों को जारी करने की पूरी प्रक्रिया सटीक, सुसंगत और चुनाव के कानूनों के अनुसार और "बिना किसी विसंगति के" रही है. चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में देरी के आरोपों का खंडन किया. इसमें कहा गया है कि डेटा प्रत्येक चरण में मतदान के दिन सुबह 9.30 बजे से मत- प्रतिशत मोबाइल ऐप पर 24×7 उपलब्ध था. चुनाव आयोग ने कहा, "यह (ऐप) 17:30 बजे (शाम 5:30 बजे) तक दो घंटे के आधार पर अनुमानित मतदाता मतदान प्रकाशित करता है. 1900 बजे (शाम 7 बजे) के बाद जब मतदान दल पहुंचने लगते हैं, तो डेटा लगातार अपडेट किया जाता है. मतदान के दिन आधी रात तक मतदान प्रतिशत ऐप पर सर्वोत्तम अनुमानित (क्लोज ऑफ पोल) डेटा दिखाएगा."
सुप्रीम कोर्ट में मतदान प्रतिशत विवाद की सुनवाई के दौरान महुआ मोइत्रा और कांग्रेस के पवन खेड़ा सहित कई विपक्षी नेताओं ने संभावित वोट धोखाधड़ी की चिंता जताते हुए दावा किया था कि मतदान के बाद वोटों की बढ़ी हुई संख्या अवैध हो सकती है और किसी एक राजनीतिक दल की संख्या में इस संख्या को जोड़ा जा सकता है. न्यायमूर्ति एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय करोल ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की अंतरिम अपील को 2019 में मोइत्रा की एक रिट याचिका के समान बताया, जो चाहती थीं कि चुनाव आयोग फॉर्म 17सी की रिपोर्टिंग को 48 घंटों के भीतर अनिवार्य करने वाला एक प्रोटोकॉल तैयार करे. इस मामले में अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, "2019 और 2024 के आवेदनों के बीच क्या संबंध है? आपने एक अलग रिट याचिका क्यों नहीं दायर की?" अदालत ने एडीआर पर सवाल उठाते हुए जोर दिया कि वह चुनाव के बीच में हस्तक्षेप नहीं करेगा. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "इस आवेदन पर चुनाव के बाद सुनवाई की जाएगी...चुनाव के बीच में नहीं. हम चुनावी प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकते...हम भी जिम्मेदार नागरिक हैं."