संसदीय पैनल ने टि्वटर से कहा 'भारतीय कानूनों का हो पालन', अन्य सोशल मीडिया फर्मों को किया तलब

सूत्रों का कहना है कि ट्विटर को बताया गया कि भारतीय कानून सर्वोच्च हैं और कंपनी को उनका पालन करना होगा .

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बीते कुछ महीनों में ट्विटर और केंद्र के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव देखने को मिला है.
नई दिल्ली:

संसद की आईटी से जुड़े मामलों पर संसदीय समिति ने ट्विटर इंडिया से कहा है कि उसे भारतीय आईटी कानूनों और नियमों का पालन गंभीरता से करना होगा. शुक्रवार को संसदीय समिति के सामने पेश ट्विटर इंडिया के अधिकारियों को ये साफ़ मैसेज दिया गया. समिति ने ट्विटर से पूछा है कि नियमों के मुताबिक कंपनी ने अब तक फुल टाइम चीफ कंप्लायंस अफसर नियुक्त क्यों नहीं किया है?

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पार्लियामेंट्री स्डैंडिंग कमिटी की बैठक में ट्विटर इंडिया के अधिकारीयों को आम नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के दुरूपयोग को रोकने की ट्विटर इंडिया की पालिसी को लेकर कई मुश्किल सवाल झेलने पड़े.

सूत्रों के मुताबिक बैठक में ट्विटर इंडिया की तरफ से पेश दो अधिकारीयों पब्लिक पालिसी मैनेजर शगुफ्ता कामरान और लीगल काउंसल आयुषी कपूर से पूछताछ की गई. इस दौरान सांसदों ने पूछा कि ट्विटर इंडिया ने नियम के मुताबिक फुल-टाइम चीफ कंप्लायंस अफसर अभी तक क्यों नहीं नियुक्त किया है? सांसदों ने सख्ती दिखाते हुए ट्विटर इंडिया से कहा कि उन्हें भारतीय कानूनों का पालन करना होगा. ट्विटर इंडिया के अधिकारीयों ने संसदीय समिति से कहा कि वो भारतीय कानूनों का सम्मान करते हैं. लेकिन ट्विटर की नीतियां भी उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.

करीब 95 मिनट तक चले एग्जामिनेशन के दौरान एक सांसद ने हाल के गाज़ियाबाद की विवादित घटना का भी सवाल उठाया, और इससे जुड़े कंटेंट मैनेजमेंट के ट्विटर के फैसले की आलोचना की. बैठक के बाद के बयान जारी कर ट्विटर इंडिया ने कहा कि हम पारदर्शिता, फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और प्राइवेसी की हमारी नीतियों के तहत आम नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के संसदीय समिति के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. हम भारत सरकार के साथ भी पब्लिक कन्वर्सेशन को सुरक्षित रखने के लिए काम जारी रखने के लिए तैयार हैं.

ट्विटर इंडिया से ये पूछताछ ऐसे वक्त पर हुई जब सरकार की ने आईटी नियमों और ट्विटर के रुख को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. पवन दुग्गल, आईटी लॉ एक्सपर्ट कहते हैं कि हाल की ट्विटर कंट्रोवर्सी बहुत सारे सवाल खड़ी करती है. क्या एक सर्विस प्रोवाइडर होने के नाते आप आपने टर्म्स को किसी सरकार की डिक्टेट कर सकते हैं ? क्या आप किसी राष्ट्र में ऑपरेट कर सकते हैं बिना उसके कानून का पालन किये बगैर?

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अब संसदीय समिति दूसरे सोशल मीडिया कंपनियों को भी इस मसले पर एक्सामिने करने की तैयारी में है. अब ट्विटर इंडिया के एग्जामिनेशन के बाद संसदीय समिति ने फेसबुक, गूगल और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया कंपनियों को भी समन करने का फैसला किया है. उन्हें जल्दी ही समिति के सामने पेश होकर सोशल मीडिया पर आम नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के दुरूपयोग को रोकने की उनकी नीति पर सांसदों के सवालों का जवाब देना होगा. 

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