संसद की सुरक्षा में चूक मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग खारिज किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने सोमवार को राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा किया, जिस वजह से उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ देर बाद ही 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई, तो विपक्ष ने दोबारा हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. इस बीच सरकार ने 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को बदलने से संबंधित भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2023 को सोमवार को लोकसभा में पेश किया.
दूरसंचार विधेयक लोकसभा में पेश
सरकार ने 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को बदलने से संबंधित भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2023 को सोमवार को लोकसभा में पेश किया. संचार, इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के जोरदार हंगामे के बीच यह विधेयक पेश किया. इस विधेयक के जरिये सरकार नया दूरसंचार कानून बनाने का प्रस्ताव कर रही है, जो टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की जगह लेगा. इस विधेयक को मंत्रिमंडल ने अगस्त में मंजूरी दी थी. इस मसौदा कानून के जरिये दूरसंचार कंपनियों के लिए कई अहम नियम सरल तो होंगे ही, इसके जरिये उपग्रह सेवाओं के लिए भी नये नियम लाये जाएंगे. हालांकि, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद ऋतेश पांडेय ने विधेयक को ‘मनी बिल' के रूप में पेश किये जाने का सदन में विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को राज्यसभा के सूक्ष्म परीक्षण से बचाने के लिए इसे ‘मनी बिल' के रूप में पेश कर रही है.
टेलीकम्यूनिकेशन बिल के प्रमुख प्रावधान
- सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षित लिए किसी भी बाइल नेटवर्क को अपने कब्जे में ले सकता है या या नेटवर्क का अस्थायी अधिग्रहण कर सकती है
- सेवाओं का अस्थायी रूप से निलंबन भी किया जा सकता है.
- नियंत्रण और प्रबंधन भी अपने हाथ में ले सकती है.
- केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के संदेशों को इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकेगा, लेकिन अगर ये राष्ट्रीय सुरक्षित तहत प्रतिबंधित हैं तो इन्हें
- इंटरसेप्ट किया जा सकता है.
- भारत की संप्रभुता और अखंडता के अलावा रक्षा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार टेलीकम्यूनिकेशन और सेवाओं से संदेशों के प्रसारण को लेकर निर्देश जारी कर सकती है.
- किसी भी संदेश को ग़ैरक़ानूनी रूप से इंटरसेप्ट करना दंडनीय है, जिसके लिए तीन साल तक की सजा, दो करोड़ रुपये का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकते हैं.
पीएम मोदी सदन में आकर बताएं सुरक्षा में चूक कैसे हुई- सीपीएम सांसद
सीपीएम राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने एनडीटीवी से कहा कि हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री एग्री मंत्री सदन में आकर बताएं कि संसद की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? गृह मंत्री मीडिया में इंटरव्यू दे रहे हैं, लेकिन संसद में बयान नहीं दे रहे. एक परंपरा है कि जब सदन की कार्रवाई चल रही है, तो गृहमंत्री पहले सदन में बयान दें. पार्लियामेंट की सुरक्षा में चूक एक बेहद ही गंभीर मसला है. संसद के बाहर की सुरक्षा गृह मंत्री के अधीन आती है. दिल्ली पुलिस गृह मंत्री के अधीन आती है.. दिल्ली पुलिस से चूक हुई है. गृह मंत्री को सदन में आकर बयान देना होगा की सुरक्षा चूक क्यों और कैसे हुई? देश की जनता यह जानना चाहती है.
...ये गृह मंत्री को बचाने का एक तर्क: गौरव गोगोई
संसद की सुरक्षा में चूक की जांच को लेकर गृह मंत्री टीवी स्टूडियो में जाकर बार-बार दलील देते हैं. अफसोस की बात है कि देश की राजधानी में संसद में इतना बड़ा हमला हुआ और देश के गृह मंत्री आज सदन में दिखाई नहीं दे रहे हैं. वह पिछले दो दिनों के अंदर सदन के अंदर दिखाई नहीं दे रहे हैं, जो बात बाहर कख रहे हैं, वह सदन के अंदर रखने से क्यों डर रहे हैं? आज भाजपा सदन को लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. गृह मंत्री की छवि को बचाने के लिए भाजपा सदन को चलने नहीं दे रही है. विपक्ष के सांसदों को निलंबित किया जा रहा है. जिस भाजपा सांसद की चिट्ठी पर संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले अंदर आए, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. क्या विपक्षी सांसदों का प्ले कार्ड इतना महत्वपूर्ण हो गया है? गृह मंत्री के लिए सदन से ज्यादा टीवी स्टूडियो महत्वपूर्ण हो गया है. सदन के अंदर उनकी जो जवाबदेही है, जो जिम्मेदारी है, उसकी कोई चिंता उनके मन में नहीं है, यही सवाल तो विपक्ष उठा रहा है. स्पीकर का नाम जो ले रहे हैं, वह गृह मंत्री को बचाने का एक तर्क है, क्योंकि हम बार-बार देख रहे हैं कि पूरी साजिश बाहर से रची गई है, लेकिन खुफिया विभाग के पास कोई खबर नहीं थी. दिल्ली पुलिस के पास कोई खबर नहीं थी. देश के अलग-अलग हिस्सों से आए थे. राजधानी की पूरी सुरक्षा गृहमंत्री के अधीन है और वह जवाब देही से बच नहीं सकते.
विपक्ष के पास नहीं बचा कोई मुद्दा : बीजेपी सांसद राम कृपाल यादव
वहीं, भाजपा सांसद ने कहा कि देखिए हमारे यहां एक कहावत है कि 'खिस्यानी बिल्ली खंबा नोचे'. चुनाव में जो हाल हुआ है, उसका गुस्सा निकाल रहे हैं. लोकसभा के अंदर जब स्पीकर ने कहा कि कार्रवाई हो रही है, तो इंतजार तो करें. इनके पास अभी एक भी मुद्दा नहीं बचा है. इस कारण यह हंगामा कर रहे हैं. लेकिन जनता सब कुछ देख रही है, ऐसे ही करते रहे तो जल्द ही साफ हो जाएंगे. लोकसभा में जो कुछ होता है, यह स्पीकर के अधीन होता है. इसका गृह मंत्री से कोई लेना-देना नहीं है गृह मंत्री आएंगे, तो अपनी मर्जी से आएंगे उनके कहने से थोड़ी ना आएंगे.
सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने कुवैत के शासक अमीर शेख नवाफ अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निधन का उल्लेख किया और उसके बाद पूरे सदन ने कुछ क्षण मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कुवैत के अमीर के निधन पर राज्य सभा में उपराष्ट्रपति का वक्तव्य
"माननीय सदस्यगण, कुवैत के आमिर महामहिम शेख नवाब अल अहमद अल जबर अल सबा के दुखद निधन का संदेश प्राप्त हुआ है. उनके निधन से कुवैत ने महान राजनेता खो दिया. शेख नवाब का कुवैत के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. शेख नवाब के नेतृत्व में कुवैत के साथ भारत के घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. इस कठिन समय में यह सभा कुवैत के शासक परिवार, नेताओं और कुवैत के नागरिकों के साथ एक एकजुटता प्रदर्शित करती है. कुवैत में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों को भी उनकी कमी महसूस होगी. अब सभा दिवंगत आत्मा की स्मृति में कुछ देर मौन खड़ी रहेग."
इसके बाद सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए कुल 22 नोटिस मिले हैं, लेकिन उन्होंने उन नोटिस को अस्वीकार कर दिया है. विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध किया और आसन से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने का अवसर दिया जाए.
हालांकि, सभापति ने शून्य काल आरंभ कराया और इसके लिए पहले भारतीय जनता पार्टी की सदस्य कांता कर्दम और फिर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का नाम पुकारा. तिवारी ने कहा कि वह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाना चाहते हैं, लेकिन पहले विपक्ष के नेता खरगे को बोलने का मौका दिया जाए.
सभापति ने जब खरगे को बोलने का मौका नहीं दिया, तो विपक्षी सदस्य हंगामा और नारेबाजी करने लगे. इसी दौरान, धनखड़ ने कुछ विपक्षी सदस्यों के आचरण पर आपत्ति जताई और सदन की कार्यवाही 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
इधर, संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर विपक्ष के सदस्यों के जोरदार हंगामे के कारण सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गत 13 दिसंबर को सदन में दो युवकों के दर्शक दीर्घा से कूदने की सुरक्षा में चूक संबंधी घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से चिंता जताई थी और सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के सुझाव के आधार पर उन्होंने कुछ सुरक्षा उपाय किए हैं और कुछ पर भविष्य में अमल किया जाएगा.
ओम बिरला ने सदन की अवमानना के मामले में पिछले सप्ताह विपक्ष के 13 सदस्यों को निलंबित किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि निलंबन का सुरक्षा में चूक की घटना से कोई संबंध नहीं है और इसका संबंध संसद की गरिमा एवं प्रतिष्ठा बनाये रखने से है. उन्होंने कहा, "किसी भी सदस्य को निलंबित किया जाता है तो मुझे व्यक्तिगत पीड़ा होती है." उन्होंने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे को लेकर निराशा प्रकट करते हुए कहा, "दुर्भाग्यपूर्ण कि हम ऐसी घटनाओं को लेकर राजनीति कर रहे हैं। यह राजनीति करने वाली घटनाएं नहीं हैं."
बिरला ने कहा कि नए संसद भवन में कामकाज शुरू करने से पहले सभी दलों के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई थी कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन नहीं किया जाएगा और सदन की गरिमा एवं मर्यादा को बनाकर रखा जाएगा. उन्होंने कहा, "नई संसद में कामकाज शुरू होने से पहले यह तय हुआ था कि (सदस्य) तख्ती लेकर नहीं आएंगे, उच्चकोटि की मर्यादाओं को बनाकर रखेंगे. संसद की मर्यादा और गरिमा बनाकर रखना हम सभी की जिम्मेदारी है. हम सभी को संसद की परिपाटियों और परंपराओं का पालन करना चाहिए."
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