गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दिया. 2014 से पहले हुए तमाम संविधान संशोधन, इमरजेंसी के दिनों की घटनाओं, आरक्षण और UPA सरकार की नीतियों को लेकर कांग्रेस की जमकर क्लास लगाई. इस दौरान गृहमंत्री ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर (Bhimrao Ambedkar Resignation) के नेहरू कैबिनेट से इस्तीफे को लेकर कांग्रेस पर आरोप भी लगाए.
देश के संविधान निर्माता डॉक्टर आंबेडकर के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद का बयान कोट करते हुए अमित शाह ने बीसी रॉय के लेटर का जिक्र किया. उन्होंने इस लेटर पर नेहरू का जवाब भी बताया. अमित शाह ने कहा, "डॉ. आंबेडकर ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दिया? उन्होंने नेहरू की कैबिनेट इसलिए छोड़ दी, क्योंकि वो सरकार की विदेश नीति और आर्टिकल-370 कानून से सहमत नहीं थे.'' शाह ने कहा, "आंबेडकर के इस्तीफे पर नेहरू जी ने कहा था कि उनके जाने से कैबिनेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा."
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "आजकल एक फैशन हो गया है आंबेडकर आंबेडकर. इतना नाम भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता. आंबेडकर का नाम और ज्यादा लो, लेकिन उनके विचारों का भी अनुसरण करो."
BJP ने बनवाए आंबेडकर के स्मारक
अमित शाह ने मुंबई के एक मेयर के लेटर का जिक्र भी किया, जिसमें डॉक्टर आंबेडकर के जन्मस्थान पर स्मारक बनाने की मांग की गई थी. इसके जवाब में सरकार की ओर से ये कहा गया था कि स्मारक निजी पहल से ही बनने चाहिए. उन्होंने आंबेडकर के नाम पर BJP के सत्ता में आने के बाद बनवाए गए स्मारक गिनाए. शाह ने कहा कि आज ये आंबेडकर आंबेडकर इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज उनको मानने वाले लोग ज्यादा आ गए हैं.
संविधान अच्छा या बुरा ये चलाने वाले की भूमिका पर निर्भर
अमित शाह ने कहा, "संविधान की रचना के बाद डॉ. आंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है... अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों. उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है... अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो. ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं."
आंबेडकर के इस्तीफे को लेकर क्यों हो रही चर्चा?
दरअसल, अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत नाम के एक शख्स ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 के तहत तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की ओर से स्वीकार किए गए डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के इस्तीफे की सर्टिफाइड कॉपी मांगी थी. प्रशांत ने अपने पिटीशन में यह जानकारी मांगी गई थी कि आखिर आंबेडकर ने नेहरू कैबिनेट ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा क्यों दिया था.
PMO ने इस याचिका को कैबिनेट सेक्रेटेरिएट भेजा था. जिसके बाद याचिकाकर्ता को बताया गया कि डॉ. आंबेडकर का इस्तीफा 11 अक्टूबर 1951 को मंजूर किया गया था. इसके बाद कहा गया कि अपील में मांगी की आगे की सूचना कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के पास नहीं है. कोई दस्तावेज नहीं मिला है.