"यह विधेयक उन्हे न्याय दिलाएगा जिनके साथ अन्याय हुआ", J&K आरक्षण और पुनर्गठन संशोधन विधेयक पर बोले अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि मैंने बीते कुछ दिनों में ढेर सारे सदस्यों के भाषण सुने हैं. ये भाव सिर्फ नाम बदलने से क्या होता ये समझाने के लिए मैं यह कह रहा हूं. मैं ये जो बिल लेकर आया हूं इसकी पृष्ठभूमि भी जानना जरूरी है.

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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर बोले अमित शाह
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर बुधवार को संसद में चर्चा के दौरान विपक्षी दलों पर निशाना साधा और बताया कि 2019 में धारा 370 को खत्म करने के बाद से लेकर अब तक राज्य में क्या कुछ बदला है.अमित शाह ने कहा कि मैं यहां जो विधेयक लेकर आया हूं वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनका अधिकार दिलाने से संबंधित है जिनके साथ अन्याय हुआ, जिनका अपमान हुआ और जिनकी उपेक्षा की गई. किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है. उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो. अधिकार देना और सम्मानपूर्वक अधिकार देना दोनों में बहुत अंतर है. इसलिए इसका नाम कमजोर और वंचित वर्ग की बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग किया जाना जरूरी है. 

अमित शाह ने आगे कहा कि मैंने बीते कुछ दिनों में ढेर सारे सदस्यों के भाषण सुने हैं. ये भाव सिर्फ नाम बदलने से क्या होता ये समझाने के लिए मैं यह कह रहा हूं. मैं ये जो बिल लेकर आया हूं इसकी पृष्टिभूमि भी जानना जरूरी है. जम्मू-कश्मीर के विलय से लेकर अब तक कई उतार चढ़ाव देख चुके है ये राज्य.

"कश्मीरी पंडितों को नहीं मिली मदद"
80 के दशक में जब कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार हुए उन्हें बेघर किया गया तो कोई मदद के लिए सामने नहीं आया. उस समय की सरकारें अगर पहले आतंकवाद को खत्म करते तो इन लोगों को प्रदेश छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती. जब ये लोग विस्थापित हुए तो उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में जाना पड़ा. एक लाख से ज्यादा लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए. ऐसे विस्थापित हुए कि उनकी जड़े ही अपने क्षेत्र अपने राज्य से उखड़ गए. ये बिल इन लोगों को आधार देने का है. 

यह विधेयक कश्मीरी पंडितों को अधिकार दिलाएगा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा, "1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह बड़ा भयावह दृश्य था. जो लोग इस ज़मीन को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की. जिन लोगों पर इसे रोकने की ज़िम्मेदारी थी वे इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे...जब कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वे अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हो गए. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए. यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है..."

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"...पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा, "...पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं.  कश्मीर में पहले 46 थीं, अब 47 हैं और PoK में 24 सीटें आरक्षित कर दी गई हैं क्योंकि PoK हमारा है..."

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