- संसद की स्थायी समिति ने सिविल एविएशन सेक्टर की सुरक्षा और कार्यक्षमता सुधार पर अपनी रिपोर्ट दी है.
- समिति ने DGCA को पूर्ण प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्तता देकर प्रभावशाली नियामक संस्था बनाने का सुझाव दिया है.
- एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और पायलटों की थकान से निपटने के लिए नया सिस्टम लागू करने की भी सिफारिश की है.
भारत के सिविल एविएशन क्षेत्र की सुरक्षा खामियों को दूर करके अहम बदलावों के लिए संसद की स्थायी समिति ने बुधवार को एक अहम रिपोर्ट पेश की है. राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में पेश इस 380वीं रिपोर्ट में नागरिक उड्डयन क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों और सुधारों पर 12 महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं. इसमें सुरक्षा खामियों को तुरंत दूर करने, पायलटों की थकान की समस्या से निपटने के अलावा डीजीसीए को पूर्ण स्वायत्तता देने जैसे सुझाव दिए गए हैं. इस रिपोर्ट को सांसद संजय कुमार झा की अध्यक्षता वाली परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति से संबंधित स्थायी समिति ने तैयार किया है.
DGCA को पूर्ण स्वायत्तता की सिफारिश
रिपोर्ट में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को पूर्ण प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता देते हुए एक प्रभावशाली और स्वतंत्र नियामक संस्था बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया है. समिति ने कहा कि DGCA की अक्षमता का एक प्रमुख कारण उसकी सीमित स्वायत्तता है. भर्ती के मौजूदा सिस्टम की वजह से डीजीसीए इंडस्ट्री के अनुरूप वेतन पर नियुक्तियां नहीं कर पाता, इसे इसकी कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.
DGCA में खाली पद सुरक्षा के लिए खतरा
स्थायी समिति ने कहा कि डीजीसीए में कर्मचारियों की भारी किल्लत देश की विमानन सुरक्षा प्रणाली की अखंडता के लिए बड़ा खतरा है. डीजीसीए के 1,063 स्वीकृत पदों में से लगभग 50 प्रतिशत खाली हैं और केवल 553 पद ही भरे गए हैं. यह कमी मात्र प्रशासनिक समस्या नहीं है बल्कि विमानन सुरक्षा निगरानी तंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा है.
ATCO, पायलटों की थकान बड़ी चुनौती
रिपोर्ट में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATCO) की थकान को बड़ी चुनौती बताया गया है और इसके समाधान के लिए थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली बनाने की सिफारिश की गई है. पायलटों और फ्लाइट क्रू के लिए भी ऐसा ही सुझाव दिया गया है. पायलटों और ATCO के लिए मेंटल हेल्थ जागरूकता और फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के सख्त पालन पर भी जोर दिया गया है. काम के बोझ और सुरक्षा पर उसके असर से निपटने के लिए स्टाफ का ऑडिट करने की सिफारिश की गई है.
Just Culture अपनाने का सुझाव
समिति ने सुरक्षा मजबूत बनाने के लिए "Just Culture" की स्थापना और मजबूत व्हिसलब्लोअर सुरक्षा ढांचे की सिफारिश की है. इसका उद्देश्य एक ऐसा माहौल बनाना है, जिसमें कर्मचारी बिना कार्रवाई के डर के अपनी गलतियों की रिपोर्ट कर सकें. अभी कर्मचारी कार्रवाई के डर से कई बातों को छिपाते हैं, जिसका असर सुरक्षा और कार्यक्षमता पर पड़ता है.
सुरक्षा खामियों को दूर करने पर जोर
समिति ने सिफारिश की है कि सुरक्षा में सभी खामियों, खासकर गंभीर स्तर के लेवल-1 मामलों को समयबद्ध तरीके से दूर किया जाना चाहिए. सुरक्षा नियमों के उल्लंघन पर सख्त जुर्माना और वित्तीय दंड लगाए जाने चाहिए. सेफ्टी से संबंधित कमियों को दूर करने और निगरानी प्रक्रिया में कमियों को देखते हुए यह सिफारिश काफी महत्वपूर्ण है.
हवाईअड्डों, एयरलाइंस में तालमेल
इन्फ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी खामियां को लेकर रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि विमानों के बेड़े का विस्तार हवाई अड्डों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से हो रहा है. इसे मौजूदा सुविधाओं पर दबाव बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिए समिति ने राष्ट्रीय क्षमता समन्वय योजना (National Capacity Alignment Plan) की सिफारिश की है ताकि हवाई अड्डों के विकास और एयरलाइंस के विस्तार में तालमेल बन सके.
ATC में AI के इस्तेमाल पर जोर
समिति ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ऑटोमेशन सिस्टम को आधुनिक AI वाले उपकरणों से बदलने का भी सुझाव दिया है. रिपोर्ट में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधाओं के लिए विदेशों पर 85% तक की निर्भरता को चिंता का विषय बताया गया है. कहा गया है कि इस क्षेत्र में घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए टैक्स छूट जैसी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की जा सकती हैं.
एयरपोर्ट अथॉरिटी में ATC एक्सपर्ट
समिति की रिपोर्ट में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) में एक समर्पित एटीसी एक्सपर्ट की नियुक्ति की सिफारिश भी की गई है. इससे संवेदनशील क्षेत्रों, एटीसी में अहम प्रशासनिक खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी. निर्णय लेने में तकनीकी एक्सपर्ट की कमी आड़े नहीं आएगी.