केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि अगर विपक्ष वार्ता के लिए आगे आए तो संसद में जारी मौजूदा गतिरोध को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष ‘दो कदम आगे बढ़ाए' तो सरकार उससे भी ‘दो कदम आगे बढ़ेगी'. शाह ने यहां आयोजित ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' में कहा कि ऐसे कई मुद्दें हैं, जो राजनीति से ऊपर हैं और यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी विदेशी धरती पर घरेलू राजनीति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था.
हम किससे बात करें?
अमित शाह ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष लोकसभा अध्यक्ष के साथ बैठें. उन्हें दो कदम आगे आना चाहिए और हम उससे भी दो कदम आगे बढ़ाएंगे. तब संसद चलेगी, लेकिन आप केवल संवाददाता सम्मेलन कीजिए और कुछ न कीजिए, ऐसा नहीं चलता.''केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि संसद केवल सत्ता पक्ष या केवल विपक्ष से नहीं चलती. दोनों को एक-दूसरे से बात करनी ही होती है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पहल के बावजूद विपक्ष की ओर से बातचीत का प्रस्ताव नहीं आया. हम किससे बात करें? वे मीडिया से बातचीत कर रहे हैं. वे नारेबाजी कर रहे हैं कि संसद में बोलने की आजादी होनी चाहिए. संसद में बोलने की पूरी आजादी है. आपको बात करने से कोई नहीं रोक रहा.'' शाह ने हालांकि कहा कि सभी को नियमों का पालन करना चाहिए और उन्मुक्त नहीं होना चाहिए तथा प्रत्येक को नियमावली पढ़नी चाहिए और उन्हें समझना चाहिए.
इंदिरा गांधी का दिया उदाहरण
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘‘संसद में बहस नियमों के तहत होती है. आप सड़क चलते व्यक्ति की तरह संसद में नहीं बोल सकते. अगर उनको इन मूल बातों की जानकारी नहीं है तो हम क्या करें.'' शाह ने दो घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी आपातकाल के बाद इंग्लैंड गईं थीं और उस वक्त शाह आयोग का गठन हुआ था तथा इंदिरा गांधी को जेल में भेजने के प्रयास चल रहे थे. ‘उस समय कुछ पत्रकारों ने (इंग्लैंड में) इंदिरा से सवाल किया कि उनका देश कैसा चल रहा है, जिसपर उन्होंने कहा था कि हमारे बीच कुछ समस्याएं हैं, लेकिन मैं उनपर यहां कुछ नहीं कहना चाहती. मेरा देश ठीक चल रहा है. मैं कुछ भी अपने देश के बारे में नहीं कहूंगी. यहां मैं एक भारतीय हूं.''
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