"पापा, मुझे बचाओ...": जबलपुर अस्पताल से किशोर के अंतिम शब्द जहां आग में 8 की मौत हो गई थी 

अमन विश्वकर्मा को अस्पताल में भर्ती उनके 19 वर्षीय बेटे तन्मय का फोन आया. पहले तो वो उसकी आवाज नहीं सुन सके. फिर उन्होंने उसे चिल्लाते हुए सुना, "पापा, चारों ओर आग है. कृपया जल्दी आओ और मुझे बचा लो."

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तन्मय के आखिरी शब्द-- पापा , मुझे बचा लो. चारों ओर आग है."
जबलपुर:

अमन विश्वकर्मा को अस्पताल में भर्ती उनके 19 वर्षीय बेटे तन्मय का फोन आया. पहले तो वो उसकी आवाज नहीं सुन सके. फिर उन्होंने उसे चिल्लाते हुए सुना, "पापा, चारों ओर आग है. कृपया जल्दी आओ और मुझे बचा लो." मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक अगस्त को एक निजी अस्पताल में आग लगने से मरने वाले आठ लोगों में सबसे छोटे तन्मय विश्वकर्मा के ये अंतिम शब्द थे. उस अग्निकांड में पांच मरीज और तीन स्टाफ सदस्यों की मौत 1 अगस्त को हुई थी.

अमन विशवकर्मा फिर फोन करते हैं लेकिन वो अपने बेटे से संपर्क बैठा नहीं पाते हैं. बमुश्किल दो घंटे पहले तन्मय ने अपने परिवार और दोस्तों को यह कहते हुए अपनी एक तस्वीर भेजी थी कि वह जल्द ही वापस आ जाएगा. कमजोरी की शिकायत के कारण उसे भर्ती किया गया था जहैं उसे सेलाइन ड्रिप दिया जा रहा था.

अमन विश्वकर्मा जो एक प्लंबर हैं ने बताया,"उसके कान के पास कुछ समस्या थी... वह कमजोर महसूस कर रहा था."

"डॉ संजय पटेल (न्यू लाइफ मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल में) ने उन्हें सुबह 11 बजे आने के लिए कहा था. उन्हें देर हो गई, और आखिरकार वो दोपहर में मिलने के लिए गए. डॉक्टरों ने अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा."

"मेरे पास दोपहर 2.49 बजे तन्मय का फोन आया, वो कह रहा था,'पापा, मुझे बचाओ ..."  विश्वकर्मा यह कहते हुए बुरी तरह रोने लगे. उन्होंने कहा, 'सरकार ऐसे अस्पतालों को मंजूरी कैसे दे सकती है? उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए.” बहरहाल, वो अधिक जानकारी साझा नहीं कर सके.

तन्मय का दोस्त गगन दहिया आग लगने से पहले अस्पताल में उसके साथ था. गगन ने कहा, "मुझे करीब 12.30 बजे तन्मय का फोन आया, जिसमें कहा गया था कि मुझे उसे ले जाना चाहिए. उसने कहा कि वह खुद बाइक चलाने के लिए बहुत कमजोर है.”

उन्होंने कहा, "करीब 2.30 बजे मुझे घर से लंच करने के लिए फोन आया और मैं चला गया. इस बीच हमें पता चला कि अस्पताल में आग लगी है. हम वहां दौड़े. लेकिन मेरे दोस्त की मौत हो गई."

गगन ने कहा,”हम चाहते हैं कि ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस रद्द किया जाए. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.'

पुलिस ने अस्पताल के निदेशक डॉ निश्चिंत गुप्ता, डॉ सुरेश पटेल, डॉ संजय पटेल और डॉ संतोष सोनी के अलावा सहायक प्रबंधक राम सोनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (लापरवाही से मौत) और 308 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है. डॉक्टर संतोष सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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