यूपी में बुलंदशहर के परवाना गांव में पंचायत चुनावों के दौरान 15 दिन में डेढ़ दर्जन से ज़्यादा लोगों की मौत हो गयी है. इन्हें कोविड जैसे लक्षण थे लेकिन कोविड का टेस्ट नहीं हुआ था. एक गांव में इतनी मौतों के बाद आज यहां मुनादी करवाकर कोरोना टेस्ट का अभियान शुरू किया गया है. NDTV की टीम जब बुलंदशहर से क़रीब 18 KM दूर परवाना गांव पहुंची तो कोरोना जांच कराने के लिए हो रहा अनाउंसमेंट दूर से हवा में गूंज रहा था. सबसे पहले हम नज़ाकत सैफी के घर पहुंचे. 28 साल के नज़ाकत फरीदाबाद में कारपेंटर का काम करते थे. पिछले लॉकडॉउन में कंपनी बंद हो गयी तो गांव में अपना काम शुरू किया. इसी दौरान बीमार हुए, सांस में दिक़्क़त हुई. वे दो अस्पतालों में भर्ती हुए लेकिन 22 अप्रैल को निधन हो गया.
नज़ाकत के भाई शराफत अली कहते हैं, 'ट्रीटमेंट प्रॉपर नहीं मिला, इसलिए उसको हार्ट की प्रॉब्लम हुई. हार्ट अटैक हुआ. कभी भी उसको हार्ट की प्रॉब्लम नहीं थी. न कभी भी ब्लडप्रेशर हाई था उसका. नार्मल सिचुएशन. ट्रीटमेंट के लिए बाइक पर गया था न कि कोई एम्बुलेंस में.' परवाना गांव में भूरो देवी की चिता जलाई जा रही है. उनकी भी कोरोना के कारण ही मृत्यु होने का अंदेशा है. गांव वालों ने हमें गांव के 18 लोगों की लिस्ट और कई लोगों की तस्वीरें दीं जो उनके मुताबिक पंचायत चुनावों के दौरान कोरोना फैलने से मर गए, 16 वर्षीय सुमित भी उन्हीं में से एक था. उसे दो अस्पताल ले जाया गया लेकिन अपनी उम्र का सत्रहवां साल नहीं देख पाया. सुमित के पिता सरदार सिंह ने बताया, 'तुरंत औरंगाबाद लेकर गए. औरंगाबाद ले जाने के बाद उसको एक ड्रिप लगाई गई. ड्रिप के बाद में अचानक उसको दर्द हुआ. दर्द में डॉक्टर ने उसको इंजेक्शन लगाया, लेकिन उससे कोई रिलीफ नहीं मिली.फिर हम उसको दूसरे हॉस्पिटल ले गए. वहां भी उसने ड्रिप लगाई, इंजेक्शन लगाया. वहां भी कोई रिलीफ नहीं मिली. फिर हम एम्बुलेंस से ले जा रहे थे.रास्ते में चौरार जा कर उसने दम तोड़ दिया.
यूपी : बुलंदशहर हिंसा के आरोपी ने जीता पंचायत चुनाव, दंगे में हुआ था इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का मर्डर
परवाना के शिव मंदिर से गांव के लोगों के लिए कोरोना की जांच कराने की अपील की जा रही है.स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां जांच करने पहुंच गई है, लेकिन बिना जांच के जिनकी जान गई है, उनकी मौत की आधिकारिक वजह नहीं पता चल सकेगी. बुलंद शहर के सीएमओ भवतोष गंगवार ने बताया, 'एक टीम लगा दी गयी है. पूरे गांव में हर एक व्यक्ति का चेकआप करेगी. किसी को भी कोई दिक़्क़त है, उसके लिए कहीं पर, दवाई का वितरण भी किया जाएगा. इनकी कोरोना से संबंधित जांच भी की जाएगी. इस बात की भी जांच की जाएगी कि मृत्यु का कहीं और कारण तो नहीं हैं. पंचायत चुनावों में प्रदेश के ज़्यादातर हिस्सों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया. पहले चुनाव प्रचार, फिर मतदान और फिर काउंटिंग हर चरण में भीड़ उमड़ती रहीण् यही नहीं बड़े पैमाने पर प्रवासी मज़दूरों को किराया देकर वोट डालने के लिए भी बुलाया गया, जो बाहर से कोरोना लाये और गांवों में फैला गए.
US: कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले ज्यादातर बुजुर्गों को नहीं पड़ रही अस्पताल जाने की जरूरत