- गाजा में लंबे संघर्ष से भारी तबाही हुई है. लोगों के पास बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है.
- फिलिस्तीनी राजदूत ने भारत से गाजा के पुनर्निर्माण और मानवीय संकट को खत्म करने में भूमिका निभाने की अपील की.
- अबू शावेश ने कहा कि भारत इजरायल के साथ संबंधों का रचनात्मक उपयोग करके फिलिस्तीनी पीड़ा को कम कर सकता है.
इजरायल और गाजा के बीच लंबे समय से जारी रहे संघर्ष से गाजा पूरी तरह तबाह हो चुका है. लोगों के पास खाने-पीने जैसी बुनियादी चीजों की भारी कमी है. ज्यादातर जगहें कब्रिस्तान में तब्दील हो चुकी हैं. ऐसे में एक फिलिस्तीन अब भारत की ओर मदद के लिए दे रहा है. भारत में फ़िलिस्तीन के राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने गुरुवार को नई दिल्ली से गाज़ा में मानवीय तबाही को खत्म करने और युद्ध के बाद एक नए भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाने की अपील की. उन्होंने कहा कि भारत का राजनीतिक प्रभाव है. इजरायल के साथ उसके अच्छे संबंध हैं, ऐसे में वह फ़िलिस्तीनी पीड़ा को खत्म करने में मदद करने के लिए पूरी तरह सक्षम है.
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उन्होंने नई दिल्ली से इज़रायल संग रिश्तों का रचनात्मक उपयोग करने की अपील की, जिसमें जवाबदेही पर ज़ोर देना भी शामिल है. उन्होंने अपील की कि भारत गाज़ा के पुनर्निर्माण की किसी भी योजना में प्रमुख भागीदार बने.
फिलिस्तीनी राजदूत ने गाज़ा के मानवीय पतन की एक भयावह, प्रत्यक्ष जानकारी देते हुए कहा कि युद्ध का खामियाजा नागरिकों ने बड़ी संख्या में भुगता है. उन्होंने कहा कि युद्ध में मारे गए 67,000 फ़िलिस्तीनी वहां के नागरिक थे, न कि हमास से संबंधित थे. उन्होंने तर्क दिया कि पीड़ितों की लिस्ट और तस्वीरों से ये पपता चलता है कि मारे गए लोग हमास के लड़ाके नहीं थे.
गाजा में मेडिकल सुविधाओं की भारी कमी
उन्होंने बताया कि गाजा में कुपोषण बहुत ज्यादा है. साथ ही मेडिकल सुविधा की भी भारी कमी है. शॉवेश ने कहा, "हम उन 500 बच्चों की बात कर रहे हैं, जो अब भी कुपोषण और खाने की कमी की वजह से मर रहे हैं. बिना एनेस्थीसिया के कई सर्जरी की गईं. बच्चों के पैर और हाथ बिना एनेस्थीसिया के काट दिए गए."
अबू शॉवेश ने एनडीटीवी को बताया कि गाजा में जो भी हुआ, वह नरसंहार जैसा है. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और विशेषज्ञों ने इसे ऐसे ही परिभाषित किया है. उन्होंने इसे खत्म करने के लिए वैश्विक दबाव की अपील की. उन्होंने कहा, "यह हमारा काम नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र का काम है. उन्होंने कहा कि इजरायली निगरानी समूह भी इसे नरसंहार घोषित कर चुके हैं.
हमास को आतंकी कहे जाने पर फिलिस्तीनी राजदूत ने कहा कि इस तर्क के लिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है," लेकिन आप इज़रायली कब्जे को क्या कहेंगे? अगर कब्ज़ा ही... आतंक का साफ संकेत या मतलब है तो आतंक का मतलब क्या है?"
बताया
उन्होंने फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी की आधिकारिक नीति को दोहराते हुए कहा कि भविष्य के फ़िलिस्तीन में मिलिशिया या समानांतर सशस्त्र समूहों के लिए "कोई जगह नहीं" है. उन्होंने तर्क दिया कि हमास की उत्पत्ति और विकास व्यापक क्षेत्रीय नीतियों की वजह से हुआ. अबू शावेश ने कई बिंदुओं पर हमास को मजबूत करने के लिए इजरायल की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यह दावा ऐतिहासिक रिकॉर्ड का हिस्सा है.