चेनाब के बढ़े जलस्तर से बौखलाया पाकिस्तान, भारत को लिखा खत

प्रमुख अखबर, डॉन के अनुसार 7-8 दिसंबर की रात को भारत ने बगलीहार डैम से लगभग 58,000 क्यूसेक पानी अचानक छोड़ा, जिससे माराला हेडवर्क्स पर प्रवाह बढ़ गया. इसके बाद 13 दिसंबर से प्रवाह को तेजी से कम कर 870-1,000 क्यूसेक तक कर दिया गया, जो पिछले 10 सालों के औसत (4,000-10,000 क्यूसेक) से काफी कम है.

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  • 7 दिसंबर से चेनाब नदी के जल स्तर में अचानक वृद्धि हुई, जिसे पाकिस्तान ने भारत की एकतरफा कार्रवाई बताया है.
  • भारत ने 7-8 दिसंबर की रात बगलिहार डैम से अचानक भारी मात्रा में पानी छोड़ा, जिससे जल प्रवाह बढ़ गया.
  • पाकिस्तान ने इसे सिंधु जल संधि के उल्लंघन और जल आतंकवाद बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी है.
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नई दिल्ली:

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी का दावा है कि 7 दिसंबर से चेनाब के जल स्तर में अचानक वृद्धि दर्ज की गई, जो भारत द्वारा एकतरफा पानी छोड़े जाने का संकेत है. जलस्तर में वृद्धि और जल प्रवाह में आए अचानक बदलाव को लेकर बौखलाए पड़ोसी मुल्क ने भारत को खत लिखा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है.

पाकिस्तान के विभिन्न मीडिया हाउस ने इसकी जानकारी दी है. प्रमुख अखबर, डॉन के अनुसार 7-8 दिसंबर की रात को भारत ने बगलीहार डैम से लगभग 58,000 क्यूसेक पानी अचानक छोड़ा, जिससे माराला हेडवर्क्स पर प्रवाह बढ़ गया. इसके बाद 13 दिसंबर से प्रवाह को तेजी से कम कर 870-1,000 क्यूसेक तक कर दिया गया, जो पिछले 10 सालों के औसत (4,000-10,000 क्यूसेक) से काफी कम है.

अब सारी बौखलाहट इसको लेकर ही है. हमेशा की तरह पाकिस्तान इसे सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का उल्लंघन बता रहा है क्योंकि रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट्स में जलाशय को मनमाने ढंग से खाली और भरना प्रतिबंधित है. पाकिस्तान के इंडस वाटर कमिश्नर ने इसे लेकर भारत को खत लिखा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई.

पहलगाम हमला कराने वाला मुल्क इसे वॉटर टेररिज्म का नाम दे रहा है और दावा कर रहा है कि ये गेहूं की फसल के महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है और बाद में पानी की कमी पैदा कर सकता है. 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आईडब्ल्यूटी को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद चेनाब पर पानी रोकने-छोड़ने की घटनाएं बढ़ीं. हालांकि, पाकिस्तान का कहना है कि संधि अभी भी बाध्यकारी है. यह मामला दोनों देशों के बीच जल विवाद को फिर से उजागर करता है, जहां पाकिस्तान भारत पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगा रहा है. भारत की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है.

जम्मू और कश्मीर के रामबन जिले में स्थित बगलिहार बांध 140 मीटर ऊंचा और 350 मीटर लंबा है. इसके बनने के बाद से ही यह भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुद्दा रहा है. पाकिस्तान ने प्लानिंग के समय भी इस पर आपत्ति जताई थी और 2005 में वर्ल्ड बैंक से भी संपर्क किया था, लेकिन आखिरकार यह बांध भारत के कंट्रोल में पूरा हुआ.

अब भारत अपनी मर्जी से पानी के बहाव को कंट्रोल कर सकता है, जो एक बहुत बड़ा रणनीतिक हथियार है. अगर भारत बांध से पूरी ताकत से पानी छोड़ने का फैसला करता है, तो 10,000 क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी पाकिस्तान में बह सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आ सकती है, खासकर उन इलाकों में जहां पहले से ही पानी की कमी है. पानी की इस सप्लाई पर भारत का कंट्रोल पाकिस्तान पर बहुत ज्यादा दबाव डालता है, जिसके चलते पाकिस्तान को पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है.
 

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