पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए एक के बाद एक निर्णायक कदम उठाए हैं. इस हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है. भारत सरकार ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा मानते हुए त्वरित और प्रभावी कार्रवाइयों की शुरुआत की है. इन कदमों में डिजिटल, कूटनीतिक, और आर्थिक क्षेत्रों में सख्त फैसले लिए जा रहे हैं.
- भारत ने डिजिटल स्ट्राइक करते हुए एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पाकिस्तान के आधिकारिक एक्स अकाउंट को बैन कर दिया. यह कार्रवाई भारत की साइबर कूटनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के प्रचार तंत्र को कमजोर करना और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी विश्वसनीयता को प्रभावित करना है.
- दूसरी ओर, भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया. यह समझौता दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के बंटवारे का आधार रहा है. भारत का यह कदम न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, बल्कि उसके कृषि क्षेत्र पर भी गहरा प्रभाव डालेगा, क्योंकि सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए जीवनरेखा माना जाता है. विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को भारत की संप्रभुता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा बताया.
- सीमा पर भी भारत ने कड़े कदम उठाए हैं. पाकिस्तान से लगने वाली अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. यह चेक पोस्ट दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों की आवाजाही का प्रमुख केंद्र थी. इस बंदी से दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाएंगी, जिसका सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. साथ ही, भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों के लिए SAARC वीजा रद्द कर दिया है और सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दिया है. यह कदम भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
- कूटनीतिक स्तर पर भी भारत ने सख्ती दिखाई है. पाकिस्तान उच्चायोग में कर्मियों की संख्या को कम करने की बात कही गई है. इसके अलावा, दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया गया है. यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर लाने का संकेत है.
पहलगाम हमले के बाद भारत की इन कार्रवाइयों ने न केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश की है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरतेगा. इन कदमों के दीर्घकालिक प्रभाव दोनों देशों के संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता पर निर्भर करेंगे. फिलहाल, भारत का यह सख्त रुख न केवल उसकी संप्रभुता की रक्षा करता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.