- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा बयान दिया है
- जयशंकर ने आतंकवाद के समर्थन करने वाले देशों को जिम्मेदार ठहराने पर दिया जोर
- जयशंकर ने पहलगाम हमले को कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करने वाला आर्थिक युद्ध करार दिया
- जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत किसी परमाणु हमले की धमकी से नहीं डरेगा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में पाकिस्तान को लेकर कड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जब एक देश अपने पड़ोसी के खिलाफ आतंकवाद को सपोर्ट करता है, तो उसके खिलाफ सार्वजनिक रूप से आवाज उठाना जरूरी हो जाता है. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है और इसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है. पहलगाम हमला पर्यटन के खिलाफ था. उनकी यह टिप्पणी न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में 9/11 मेमोरियल के पास वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में न्यूज़वीक के मुख्यालय में न्यूज़वीक के सीईओ देव प्रगद के साथ बातचीत के दौरान आई.
भारत परमाणु हमले की ब्लैकमेलिंग से नहीं डरेगा
विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करने के लिए किया गया आर्थिक युद्ध था. विदेश मंत्री कहा कि भारत ने ये साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान के आतंक का जवाब देने से रोकने के लिए परमाणु ब्लैकमेल को किसी हाल बर्दाश्त नहीं करेगा. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत को वर्षों से पाकिस्तान के आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा है और 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में यह भावना थी कि बस बहुत हुआ और अब और नहीं सहेंगे.
क्या ट्रंप ने कराया भारत-पाक के बीच सीजफायर...
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भारत-पाक के बीच संघर्ष खत्म कराने वाले दावे को भी विदेश मंत्री जयशंकर ने पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने खुलासा किया कि जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उनसे फोन पर बात की थी, तब वे पीएम मोदी के साथ थे, और जहां तक भारत का सवाल है, व्यापार और सीजफायर का कोई मतलब नहीं. मैं उस कमरे में था जब उपराष्ट्रपति वेंस ने 9 मई की रात को पीएम मोदी बात की थी, तब उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान भारत पर बहुत बड़ा हमला करेगा...हमने कुछ चीजों को स्वीकार नहीं किया. इसके जवाब में पीएम मोदी ने साफ संकेत दिया कि हमारी ओर से जवाब दिया जाएगा.
कश्मीर में टूरिज्म बर्बाद करना था पहलगाम हमले का मकसद
जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला का उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को नष्ट करना था, जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. इसका मकसद धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था क्योंकि लोगों को उनकी हत्या से पहले उनका धर्म पूछा गया. इसलिए हमने फैसला किया कि हम आतंकवादियों को नहीं बख्शेंगे. अगर उन्हें ये लगता है कि वे सीमा के उस पार हैं और इसलिए जवाबी कार्रवाई से बच जाएंगे उनका ये भ्रम तोड़ने की जरूरत है और यही हमने किया. जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं और मंगलवार को वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों को बनाया निशाना
उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 'आतंकवाद का मानवीय नुकसान' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन करके की, जिसका आयोजन भारत के संयुक्त राष्ट्र स्थायी मिशन द्वारा किया गया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी जो भारत के खिलाफ हमले करते हैं, वे गुप्त रूप से काम नहीं करते और ये आतंकवादी संगठन हैं जिनके पाकिस्तान के आबादी वाले शहरों में उनके कॉर्पोरेट मुख्यालय के समकक्ष हैं. हर कोई जानता है कि संगठन A और संगठन B का मुख्यालय क्या है और वे इमारतें, मुख्यालय हैं जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट किया.
ऑपरेशन सिंदूर 26 लोगों की हत्या का बदला
ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया था, जो 26 नागरिकों की हत्या करने वाले पहलगाम हमले का बदला था. जयशंकर ने कहा, "हम बहुत स्पष्ट हैं कि आतंकवादियों के लिए कोई सजा से छूट नहीं होगी, हम अब उन्हें प्रॉक्सी के रूप में नहीं देखेंगे और उस सरकार को बख्शेंगे जो उन्हें समर्थन, वित्त पोषण और कई तरह मदद करती है. परमाणु ब्लैकमेल को हमें जवाब देने से रोकने की अनुमति नहीं देंगे."
आतंकियों की मदद करने वाले भी नहीं बचेंगे
उन्होंने कहा कि हमने बहुत लंबे समय तक यह सुना है कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु देश हैं और इसलिए दूसरा पक्ष भयानक काम करेगा, लेकिन आपको कुछ नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुनिया चिंतित हो जाती है. लेकिन अब हम नहीं झुकेंगे. अगर वह आएगा और कुछ करेगा, तो हम वहां जाएंगे और उन लोगों को भी मारेंगे जिन्होंने यह किया. इसलिए परमाणु ब्लैकमेल के सामने झुकना नहीं, आतंकवादियों को कोई सजा से छूट नहीं, यह नहीं कि वे प्रॉक्सी हैं और उन्हें मुफ्त पास मिलेगा. हम अपने लोगों की रक्षा के लिए जो करना होगा, करेंगे.