दिल्ली सड़क हादसों की भी 'राजधानी'... देश में 1.73 लाख मौतों में 45% दोपहिया सवारः NCRB

एनसीआरबी ने बताया कि दोपहिया वाहनों से जुड़ी सबसे अधिक जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं हुई जिनमें 79,533 मौतें हुईं. तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के कारण हुए हादसों में 58.6 फीसदी यानी 1,01,841 लोगों की जान गई.

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  • NCRB के मुताबिक, 2023 में दिल्ली में हर दिन करीब 4 लोगों की रोड एक्सीडेंट में मौत हुई और लगभग 13 लोग जख्मी हुए
  • देश भर में 2023 में सड़क हादसों में 1.73 लाख से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से 45.8% दोपहिया वाहन से संबंधित थे
  • एनसीआरबी ने बताया कि तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाना सड़क दुर्घटनाओं के दो सबसे प्रमुख कारण पाए गए
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सड़क दुर्घटनाओं के मामले में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सबसे असुरक्षित है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2023 में दिल्ली में हर दिन करीब 4 लोगों की रोड एक्सीडेंट में मौत हुई और लगभग 13 लोग जख्मी हुए. देश की 52 मेगासिटीज इस दौरान 69,910 सड़क हादसे हुए. इनमें से अकेले दिल्ली में ही 8.2 फीसदी (5,715)  एक्सीडेंट हुए थे. एनसीआरबी ने बताया है कि सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे दोपहिया वाहनों के हुए.

एनसीआरबी के मुताबिक, देश भर में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.73 लाख से अधिक लोग मारे गए और 4,47,969 अन्य जख्मी हुए. इनमें से 45.8 प्रतिशत मामले दोपहिया वाहन से संबंधित थे. तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाना सड़क दुर्घटनाओं के दो प्रमुख कारण पाए गए. 

देश में 2023 में कुल 4,64,029 सड़क दुर्घटनाओं में से 95,984, शाम छह बजे से रात नौ बजे के बीच हुईं, जो कुल सड़क दुर्घटनाओं का 20.7 प्रतिशत है. दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक और दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक क्रमशः 17.3 प्रतिशत (80,482) और 15 प्रतिशत (69,397) सड़क दुर्घटनाएं हुईं.

एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में कुल 4,64,029 सड़क हादसों के मामले दर्ज किए गए. यह 2022 की तुलना में 17,261 अधिक थे और मृत्यु दर में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2022 में 1,71,100 लोगों की जान गई थी जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 1,73,826 हो गई.

दोपहिया वाहनों से जुड़ी सबसे अधिक जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं हुई जिनमें 79,533 मौतें हुईं. यह सड़क दुर्घटना में कुल मौतों का 45.8 प्रतिशत है. इसके बाद पैदल यात्री दुर्घटनाओं का शिकार हुए. कुल 27,586 पैदल यात्रियों की मौत हुईं जो कुल मौतों का 15.9 प्रतिशत है. इसके बाद एसयूवी, कार, जीप का स्थान आता है और उनसे संबंधित हादसों में 24,776 मौतें (14.3 प्रतिशत) हुई.

दोपहिया वाहन से संबंधित दुर्घटनाओं में अधिकांश मौतें तमिलनाडु (11,490 मौतें) और उत्तर प्रदेश (8,370 मौतें) में दर्ज की गईं, जो कुल मौतों का क्रमशः 14.4 प्रतिशत और 10.5 प्रतिशत है. एसयूवी कार जीप से जुड़ी 24,776 में से 4,768 दुर्घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुई जिनमें बड़ी संख्या में मौत हुईं. वहीं, ट्रक लॉरी मिनी ट्रक से संबंधित 13,823 में से 4,138 हादसे उत्तर प्रदेश में हुए जिनमें खासी संख्या में लोगों की जान गई.

एनसीआरबी ने कहा कि घातक सड़क दुर्घटनाओं के कारण का विश्लेषण करने से पता चला है कि तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण हुए हादसों में 58.6 फीसदी (1,01,841) मौतें हुईं और खतरनाक तरीके से या लापरवाही से वाहन चलाने या ओवरटेकिंग के कारण हुई दुर्घटनाओं में 23.6 प्रतिशत (41,035) मौतें हुईं. खराब मौसम की स्थिति, नशे/शराब की पीकर वाहन चलाने तथा पशु के कारण 2.8 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 4,952 लोगों मौतें हुई.

सामान्यतः सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु की तुलना में लोग घायल ज्यादा होते हैं, लेकिन अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, झारखंड, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों की तुलना में ज्यादा लोग मारे गए.

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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 25 सड़क दुर्घटनाओं में 27 लोगों की मृत्यु हुई और 11 लोग घायल हुए; झारखंड में 5,316 सड़क दुर्घटनाओं में 4,173 लोगों की मृत्यु हुई और 3,586 लोग घायल हुए; पंजाब में 6,276 सड़क दुर्घटनाओं में 4,906 लोगों की मृत्यु हुई और 3,305 लोग घायल हुए. 

इसी तरह बिहार में 11,014 सड़क दुर्घटनाओं में 8,873 लोगों की मृत्यु हुई और 6,539 लोग जख्मी हुए, तथा उत्तर प्रदेश में 37,764 सड़क हादसों में 23,947 लोगों की मौत हुई और 23,843 लोग जख्मी हुए. एक्सप्रेसवे पर सड़क दुर्घटनाओं के कुल 3,630 मामले भी दर्ज किए गए, जिनमें 2,762 लोग घायल हुए और 2,372 लोगों की मृत्यु हुई.

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