बॉम्बे हाइकोर्ट ने बीएमसी को फटकार लगाते हुए अभिनेत्री कंगना रनौत के कार्यालय को ध्वस्त किए जाने को "गलत" और "दुर्भावना से पूर्ण" करार दिया है. इस फटकार के बाद मेयर किशोरी पेडणेकर ने मामले में अभिनेत्री कंगना पर हमला बोलते हुए उनके लिए "दो टके के लोग" शब्द का इस्तेमाल किया. पेडनेकर की टिप्पणी आने से पहले अदालत ने सांसद संजय राउत की आलोचना भी की. बता दें कि कंगना और संजय राउत के बीच सुशांत राजपूत की मौत की जांच पर तीखी बहस देखने को मिली थी. मामले में कंगना ने मुंबई को पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) करार दिया था.
अदालत ने रनौत को भी चेतावनी दी कि वे "महाराष्ट्र सरकार पर राय व्यक्त करने में संयम दिखाएं." पेडनेकर ने कहा, "हर कोई हैरान है कि एक अभिनेत्री हिमाचल प्रदेश से मुंबई आती है, और उसे पीओके कहती है. फिर उसके खिलाफ शिकायतें होती हैं. दो टके के लोग अदालत को राजनीतिक (सर्कस) में बदलना चाहते हैं. यह गलत है. "
पेडनेकर ने यह भी कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम या बीएमसी ने "नगरपालिका नियमों के अनुसार" कार्य किया था, लेकिन "वे अदालत का अपमान नहीं करेंगे.'' उन्होंने कहा, "हम अदालत के आदेश का अपमान नहीं करेंगे. हम आदेश का अध्ययन करेंगे और हम देखेंगे कि अतीत में कानून के एक ही खंड के उपयोग पर उच्च न्यायालय ने क्या आदेश दिए हैं."
शुक्रवार सुबह हाइकोर्ट ने कहा कि कंगना रनौत के कार्यालय के एक हिस्से को बीएमसी द्वारा तोड़े जाना "कानून में दुर्भावना के सिवाय और कुछ नहीं" था. नागरिक निकाय के नोटिस को रद्द करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि रनौत को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी.
बता दें कि कंगना ने आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ बीएमसी की कार्रवाई महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के चलते की गई थी.