देशभर में सेना के लिए हथियार और गोला बारूद बनाने वाली ऑर्डिनस फैक्ट्री बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा 26 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद सरकार आवश्यक रक्षा सेवाओं में शामिल किसी भी व्यक्ति के आंदोलन और हड़ताल पर रोक लगाते हुए एक अध्यादेश लेकर आई है. कानून मंत्रालय द्वारा जारी आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 पर एक गजट अधिसूचना में कहा गया है कि सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के रक्षा उपकरण, सेवाओं और संचालन या रखरखाव के उत्पादन में लगे कर्मचारियों के साथ-साथ मरम्मत और रख-रखाव में कार्यरत कर्मचारी रक्षा उत्पाद अध्यादेश के दायरे में आएंगे.
गजट अधिसूचना में कानून मंत्रालय ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, जो इस अध्यादेश के तहत अवैध हड़ताल शुरू करता है या जाता है या रहता है, या अन्यथा ऐसी किसी भी हड़ताल में भाग लेता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना जो 10,000 रुपये तक हो सकता है या दोनों. आपको बता दे 16 जून को कैबिनेट ने 41 ओएफबी के निगमीकरण की घोषणा की गई थी. ओएफबी की भंग सात कॉरपोरेशन ने फैसला लिया है.
ओएफबी को निगमित करने के कैबिनेट के फैसले के खिलाफ वहां काम कर रहे करीब 74 हजार कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया गया था. इनका कहना है यह फैसला देश हित में नहीं है,
इस अधिसूचना में यह कहा गया है कि फिलहाल संसद सत्र में नहीं है और भारत के राष्ट्रपति "संतुष्ट हैं कि ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं जो उनके लिए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक बनाती हैं. इसने यह भी कहा कि अध्यादेश का प्रावधान पूरे देश में लागू होगा.
ऑर्डिनस फैक्ट्री बोर्ड से जुड़ी मान्यता प्राप्त तीनों फेडरेशन भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ, इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लाइज फेडरेशन सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश को लेकर आज शाम चार बजे बैठक करेंगे, हालांकि इनके कर्मचारियों का कहना है वह अपने फैसले से पीछे नही हटेंगे यानी 26 जुलाई से हड़ताल पर जाएंगे.
देशभर में आयुध कारखाना बोर्ड के तहत 41 आयुध कारखाने आते हैं. इन कारखानों में सैनिकों के यूनिफॉर्म से लेकर हथियार, गोला-बारूद, मिसाइल और बड़े-बड़े तोप व टैंक तक बनाए जाते हैं. पिछले महीने की 16 तारीख को हुई कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने इन सभी कारखानों को सात निगमों में बांटने का फ़ैसला लिया है. सरकार का दावा है कि इस फैसले से इन कारखानों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी और सेना को समय पर विश्व स्तर के आधुनिक हथियार मिल सकेंगे.
उधर, रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूर संगठनों का दावा है कि मोदी सरकार इस कदम के बहाने इन कारखानों का निजीकरण कर रही है. बेहतर हो सरकार इन फैक्टरियों को आधुनिकीकरण करे. इन संगठनों ने 26 जुलाई से सभी कारखानों में हड़ताल करने का ऐलान किया है. इन कारखानों में करीब 74 हजार कर्मचारी काम करते हैं. इसी हड़ताल को रोकने के लिए सरकार अध्यादेश लेकर आई है.