आधार को वोटर आईडी से जोड़ने पर विपक्ष के आऱोप बेबुनियाद, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिए ये तर्क

रिजिजू ने कहा कि इलेक्शन लॉज बिल देश मे चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ और साफ सुथरा बनाने के लिए जरूरी है. अभी एक मतदाता तीन चार जगह Electoral Roll में अपना नाम शामिल करा लेता है. जो फर्जी वोटर हैं उन्हें भी वोटिंग लिस्ट से बाहर करना बहुत जरूरी है.

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आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने वाला इलेक्शन लॉज एमेंडमेंट बिल पारित
नई दिल्ली:

वोटर आईडी कार्ड से आधार को लिंक (Aadhaar Voter ID) करने को लेकर केंद्र सरकार ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. चुनाव सुधार से जुड़ा ये विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा से पारित हो गया है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इलेक्शन लॉज एमेंडमेंट बिल (Election Laws (Amendment) Bill) चुनाव सुधार से जुड़ा है. यह स्वैच्छिक है और वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक कराना अनिवार्य नहीं होगा. अगर किसी नागरिक के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा. अगर किसी को मतदाता सूची (Electoral Rolls) में नाम जुड़वाना है तो वो उसके लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं होगा.  

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रिजिजू ने कहा कि इलेक्शन लॉज बिल देश मे चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ और साफ सुथरा बनाने के लिए जरूरी है. अभी एक मतदाता तीन चार जगह Electoral Roll में अपना नाम शामिल करा लेता है. जो फर्जी वोटर हैं उन्हें भी वोटिंग लिस्ट से बाहर करना बहुत जरूरी है. विपक्ष का तर्क बिल्कुल गलत है. आधार कार्ड को लिंक करना अनिवार्य नहीं बनाया गया है. आधार नहीं होने पर भी किसी भी मतदाता का नाम वोटिंग लिस्ट से नहीं हटेगा.  अगर आप 18 साल के ऊपर हैं आपका नाम वोटिंग लिस्ट में है तो आप वोटर हैं.

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विधेयक के मुताबिक, यह बिल निर्वाचक अधिकारी को यह अनुमति देता है कि जो पंजीकरण के लिए आधार नंबर देना चाहता है और इसके आधार पर अपनी पहचान सत्यापित करने को तैयार है.ये विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है और राज्यसभा में है. यह विधेयक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी को उन लोगों की भी पहचान सत्यापित करने के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल कर सकता है, जिनका नाम पहले से ही मतदाता सूची में है. ताकि यह तय किया जा सके कि क्या किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में तो दर्ज नहीं है.

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चुनाव सुधार से जुड़े इस बिल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि अगर कोई आधार नंबर नहीं देना चाहता है और इसकी जगह पहचान के किसी अन्य प्रमाणपत्र के आधार पर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना चाहता हो. आधार नंबर न होने की वजह से किसी का नाम मतदाता सूची से हटाया भी नहीं जा सकता. 

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चुनाव सुधार से जुड़े इस बिल के जरिये सरकार का उद्देश्य है कि मतदाता सूची को डिजिटल बनाया जाए और हर तीन माह में वोटर लिस्ट को बिना किसी बड़े झंझट के आसानी से अपडेट किया जा सके. मतदाताओं का नाम जोड़ना या हटाना आसान किया जा सके.

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जन प्रतिनिधित्व कानून के मौजूदा नियम के अनुसार, अभी 1 जनवरी को 18 साल की उम्र पार करने वालों को ही वोटर लिस्ट में जुड़ने का अधिकार मिलता है. नए कानून के बाद साल में ऐसी चार तारीखें तय की जाएंगी और उन तारीख को 18 साल का पूरा होने वाला व्यक्ति वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा सकता है. ये तारीख 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर होंगे. 

आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ने वाला चुनाव सुधार बिल राज्यसभा में भी पास

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