किसान आंदोलन के साथ सरकार के सलूक पर विपक्ष उत्तेजित, संसद में हुआ हंगामा

राज्यसभा में बीजेडी ने कहा कि अगर कृषि बिलों को सलेक्ट कमेटी को भेजा जाता तो आसमान नहीं टूट पड़ता

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कृषि कानूनों को लेकर राज्यसभा में हंगामा होता रहा.
नई दिल्ली:

राज्यसभा (Rajya Sabha) में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान किसानों (Farmers) और कृषि क़ानूनों (Farm Laws) का मुद्दा छाया रहा. विपक्ष (Opposition) के आग्रह पर चर्चा का समय तीन घंटे बढ़ाकर साढ़े चौदह घंटे कर दिया गया है. किसान आंदोलन (Farmers Movement) से निबटने के सरकारी तरीक़े पर विपक्ष ने गंभीर सवाल खड़े किए. समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि "आज गाजीपुर बॉर्डर पर कंक्रीट की दीवारें बना दी गई हैं. कील लगा दी गई हैं, जो पार्लिमेंट की सुरक्षा से भी ज्यादा है. गाजीपुर पर जो सुरक्षा व्यवस्था है वह पाकिस्तान बॉर्डर पर भी नहीं है. मैंने पाकिस्तान बॉर्डर देखी है. क्या किसान दिल्ली हमला करने आ रहे हैं?"

किसान आंदोलन के साथ सरकार के सलूक पर विपक्ष काफ़ी उत्तेजित दिखा, संसद में हंगामा भी हुआ. सवाल गाजीपुर में कंक्रीट सीमेंट की दीवारें और कीलें लगाने से लेकर नए कृषि कानूनों पर उठाए गए.

समाजवादी पार्टी ने कहा कि सरकार बजट सत्र के दौरान ही नए कृषि कानून वापस ले और नए बिलों को इसी सत्र में लेकर आए. रामगोपाल यादव  ने कहा, "आप क्यों जबरदस्ती कानून किसानों पर लादना चाहते हैं जब वह यह कानून नहीं चाहते. अगर आप डेढ़ साल तक कानूनों को रोकने के लिए तैयार हैं तो आप उनको रिपील क्यों नहीं कर सकते? आप इस सत्र में नए कृषि कानूनों को रिपील कर दीजिए. नए बिल लाइए, उन्हें स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजिए और फिर उन्हें पास कर दीजिए. अगर पहले ही नए कृषि बिलों को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया होता तो आज यह हालात नहीं होते."  

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तीनों कृषि कानूनों को फौरन वापस लेने की मांग की. आजाद ने कहा, ''मैं पीएम से निवेदन करता हूं कि तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाएं. अंग्रेजों ने भी ब्रिटिश इंडिया में एक बार नए कृषि कानून वापस लिए थे. मैं पीएम से यह भी निवेदन करूंगा कि जो लोग 26 जनवरी  से लापता हैं उनकी जांच के लिए कमेटी गठित हो. हम 26 जनवरी को हुई हिंसा की निंदा करते हैं. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए."

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पहले इन बिलों पर सरकार के साथ खड़ी बीजेडी ने अब कहा है कि अगर इन कृषि बिलों को सलेक्ट कमेटी को भेजा जाता तो आसमान नहीं टूट पड़ता. बीजेडी के सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा, "अगर कृषि बिल पहले ही सलेक्ट कमेटी को भेजे गए होते तो कोई पहाड़ नहीं टूट जाता. सुप्रीम कोर्ट को इस पर कमेटी गठित करनी पड़ी. मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट सही तरीके से लागू करे. सरकार ने स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट ठीक से लागू नहीं की है. सरकार ने 2014 में कहा था किसानों की इनकम डबल करेंगे. लेकिन क्या 2020-21 में किसान की इनकम डबल हो गई है?"

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लेकिन बीजेपी ने विपक्ष की मांगों को खारिज कर दिया. चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने दावा किया कि ये तीनों क़ानून 86 फ़ीसदी छोटे किसानों के हक़ में हैं. विजय पाल सिंह तोमर ने कहा, "नए कृषि कानूनों से छोटे और सीमांत किसानों को ज्यादा फायदा होगा. आज कृषि से इनकम बढ़ाने के लिए वैल्यू एडिशन बहुत जरूरी है और नए कृषि क़ानून इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं." साथ ही तोमर ने कहा कि नए कृषि कानूनों के बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा नहीं की गई. लेकिन पिछले 15 से 20 साल में 12 एक्सपर्ट की कमेटी बनाई गई हैं. 2010 में हरियाणा के उस वक्त के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में कमेटी बनी. 2006 में स्वामीनाथन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट दी जिसे 2014 तक लागू भी नहीं किया गया. 

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत में आम आदमी पार्टी के सांसदों ने हंगामा किया और मांग की कि 26 जनवरी के हंगामे के बाद से लापता किसानों पर सरकार तत्काल सफाई दे. तीनों सांसदों को सभापति ने एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया.

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