प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक में नेताओं को सलाह दी कि वे हर मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान देने से बचें और अनावश्यक टिप्पणियों से परहेज करें. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे बयान पार्टी और गठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकते हैं.
यह सलाह हाल ही में मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में की गई विवादित टिप्पणी के बाद दी गई है. शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को "आतंकियों की बहन" कहकर संबोधित किया था, जिससे व्यापक आलोचना हुई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.
प्रधानमंत्री ने नेताओं को याद दिलाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाज़ी से बचना चाहिए और पार्टी की आधिकारिक लाइन के अनुसार ही बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि अनुशासित और जिम्मेदार सार्वजनिक संवाद बनाए रखना आवश्यक है, विशेषकर जब देश आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा हो.
बीजेपी के एक अन्य नेता ने भी दिया था बयान
गौरतलब है कि हाल ही में बीजेपी के एक अन्य नेता और राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में अपने पतियों को खोने वाली महिलाओं की एक तरह से आलोचना की थी. सांसद ने कहा था कि वे इसलिए शिकार बनीं क्योंकि उनमें वीरता के गुण, उत्साह और जोश की कमी थी.
18वीं सदी की दूरदर्शी मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हरियाणा के भिवानी में एक सभा को संबोधित करते हुए, जांगड़ा ने कहा था "जिन महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया, उनमें योद्धा की भावना, उत्साह और जोश की कमी थी... आतंकवादी किसी को नहीं छोड़ते क्योंकि वे हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं. हमारे लोग हाथ जोड़कर मर गए... अगर पर्यटकों ने (अग्निवीर) प्रशिक्षण लिया होता, तो तीन आतंकवादी 26 लोगों की जान नहीं ले सकते थे.
बाद में जब उनसे पूछा गया कि वे महिलाओं से आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने की उम्मीद कैसे करते हैं, तो सांसद ने कहा, "अहिल्याबाई होल्कर एक महिला थीं, रानी लक्ष्मीबाई भी एक महिला थीं, क्या उन्होंने लड़ाई नहीं लड़ी? हम चाहते हैं कि हमारी बहनें बहादुर बनें और साहस के साथ जिएं."