ऑपरेशन सिंदूर के बाद PAK में बदले आतंक के ठिकाने, PoK से इस इलाके में शिफ्ट हुए जैश-हिजबुल के कैंप

आतंकी संगठन अब खैबर पख्तूनख्वा (KPK) को 'बैकअप ज़ोन' बना रहे हैं, ताकि PoK में हमले होने के बावजूद उनका नेटवर्क चलता रहे. अफगानिस्तान के नजदीक होने से उन्हें नए लड़ाके भी आसानी से मिल जाते हैं.

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  • ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय स्ट्राइक के बाद जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल ने PoK से अपना कैंप KPK में शिफ्ट किया.
  • खैबर पख्तूनख्वा के मंसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में जैश ने खुलेआम कट्टरपंथी भर्ती अभियान चलाया.
  • पाक आर्मी, पुलिस और राजनीतिक संगठन आतंकियों को खुली मदद दे रहे हैं, KPK को आतंकियों का नया गढ़ बना रहे हैं.
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नई दिल्ली:

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय स्ट्राइक से पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) में 9 बड़े आतंकी ठिकाने तबाह होने के बाद अब आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) ने ठिकाना बदल लिया है. दोनों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) इलाके को नया अड्डा बना लिया है. वजह साफ है  PoK अब सुरक्षित नहीं रहा, जबकि KPK यानी खेबर पख्तूनख्वा अफ़ग़ान बॉर्डर के नज़दीक पहाड़ी इलाक़ा है और यहां कैम्प गहराई में होने के कारण ज्यादा सुरक्षित है. यहां अफ़ग़ान युद्ध के दौरान बनाये गए हाइडआउट भी मौजूद हैं. ख़ास बात ये कि ये सब कुछ पाक आर्मी और पाकिस्तानी राजनीतिक संरक्षण में हुआ है.

मंसेहरा में खुली जेहादियों की भर्ती

14 सितम्बर को, भारत-पाक क्रिकेट मैच से कुछ घंटे पहले, KPK के मंसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में जैश ने खुलेआम भर्ती अभियान चलाया. इसे 'धार्मिक सभा' का नाम दिया गया, लेकिन असल मकसद लोगों को कट्टरपंथ की तरफ खींचना और भर्ती करना था, यानी कट्टरपंथी स्पीच देकर उनका ब्रेनवॉश करना.

सभा में जैश का बड़ा कमांडर और भारत में वांछित आतंकी मौलाना मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद मौजूद था. मंच से उसने ओसामा बिन लादेन की तारीफ की, KPK को 'मुजाहिदीन का गढ़' बताया और दावा किया कि पाकिस्तानी आर्मी खुद जैश के मारे गए आतंकियों के जनाज़ों में शामिल होती है.

इस कार्यक्रम का असली मकसद जैश के मरकज़ शोहदा-ए-इस्लाम ट्रेनिंग कैंप के लिए भर्ती करना था. खास बात ये रही कि सभा में हथियारबंद जैश के लोग मौजूद थे और पुलिस भी सुरक्षा दे रही थी, यानी राज्य की खुली मिलीभगत साफ दिखी.

जैश का अगला ठिकाना पेशावर

जैश अब 25 सितम्बर को पेशावर में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है. इस बार जैश नए नाम अल-मुराबितून का इस्तेमाल करेगा, ताकि दुनिया की नजरों से बचा जा सके. 'अल-मुराबितून' का मतलब है, इस्लाम की जमीन के रक्षक.

हिजबुल का नया कैंप

जैश के साथ-साथ हिजबुल मुजाहिदीन भी KPK में जम चुका है. लोअर दिर जिले के बंदाई इलाके में उसने नया ट्रेनिंग कैंप बनाया है, जिसका नाम रखा गया है HM 313. यह नाम इस्लामिक इतिहास की ग़ज़वा-ए-बदर और अल-कायदा की ब्रिगेड 313 से जुड़ा हुआ है. इस कैंप के लिए जमीन अगस्त 2024 में खरीदी गई थी और अब यहां दीवारें खड़ी कर ट्रेनिंग की तैयारी हो रही है.

मसूद इलियास कश्मीरी कौन है?

  • जन्म: रावलकोट (PoK)
  • 2001 से जैश से जुड़ा, अफगानिस्तान में NATO के खिलाफ लड़ा
  • 2018 के सुंजवान आर्मी कैंप हमले का मास्टरमाइंड.
  • फिलहाल KPK और कश्मीर का अमीर यानी सबसे बड़ा कमांडर है.
  • जैश और लश्कर का संयुक्त ग्रुप PAFF (People's Anti-Fascist Front) भी वही चलाता है.

हाल में इसके कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें इसने अपने ही आर्मी चीफ पर खुलासा किया कि असीम मुनीर ने ही सभी पाक सेना के जनरल्स को आदेश दिया था कि ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियो के जनाजे में शामिल हों.

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POK से KPK शिफ्ट होने के पीछे मकसद?

यह साफ हो गया है कि आतंकी संगठन अब KPK को 'बैकअप ज़ोन' बना रहे हैं, ताकि PoK में हमले होने के बावजूद उनका नेटवर्क चलता रहे. अफगानिस्तान के नजदीक होने से उन्हें नए लड़ाके भी आसानी से मिल जाते हैं.

सबसे चिंताजनक बात ये है कि पाकिस्तान की आर्मी, पुलिस और धार्मिक संगठन इन आतंकियों को खुली मदद दे रहे हैं. यानि एक बार फिर पाकिस्तान वही पुराना खेल, खेल रहा है, दुनिया को दिखाना कि वह आतंकवाद के खिलाफ है, लेकिन पीछे से आतंकियों को पालना और उन्हें भारत, अमेरिका और इज़रायल के खिलाफ इस्तेमाल करना.

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