राष्ट्रीय राजधानी में प्याज में तेजी जारी, अखिल भारतीय औसत दर 53.75 रुपये प्रति किलो

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 30 अक्टूबर को कीमतें मामूली रूप से गिरकर 78 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं और मंगलवार को भी इसी स्तर पर बनी रहीं. 

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दिल्ली में प्याज की औसत खुदरा कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतम स्तर पर चल रही हैं. 
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  • दिल्‍ली में मंगलवार को प्‍याज की औसत खुदरा कीमत 78 रुपये प्रति किलो रही.
  • राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की कीमतें 25 अक्टूबर से बढ़नी शुरू हुईं.
  • देश के बाजारों में अब तक 1.8 लाख टन प्याज जारी किया जा चुका है.
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नई दिल्ली:

प्याज (Onion) के निर्यात पर अंकुश लगने के बाद प्रमुख आपूर्ति वाले राज्य महाराष्ट्र (Maharashtra) में थोक कीमतें नरम पड़ने के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्याज मंगलवार को भी महंगा बना रहा क्योंकि औसत खुदरा कीमत 78 रुपये प्रति किलो बनी हुई है. नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अखिल भारतीय औसत खुदरा प्याज की कीमतें सोमवार के मुकाबले 3.40 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर मंगलवार को 53.75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं. राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की कीमतें 25 अक्टूबर से बढ़नी शुरू हुईं. उस समय दरें 40 रुपये प्रति किलोग्राम थीं जो 29 अक्टूबर को दोगुनी होकर 80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं. 

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 30 अक्टूबर को कीमतें मामूली रूप से गिरकर 78 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं और मंगलवार को भी इसी स्तर पर बनी रहीं. 

इस समय दिल्ली में प्याज की औसत खुदरा कीमतें अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में उच्चतम स्तर पर चल रही हैं. 

कीमतों में दूसरी सबसे ज्यादा बढ़ोतरी गोवा और पुडुचेरी में हुई जहां मंगलवार को औसत खुदरा कीमत 72 रुपये प्रति किलोग्राम थी. 

अन्य राज्यों में प्याज की खुदरा कीमतें 41-69 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में थीं. 

सरकारी सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में 15-20 लाख टन रबी फसल का स्टॉक एक महीने की मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है. यह स्टॉक उपलब्ध होने के बावजूद देश भर में थोक और खुदरा दोनों बाजारों में कीमतें सट्टेबाजी के कारण बढ़ी हैं. 

सूत्रों ने कहा कि ताज़ा खरीफ उत्पादन में गिरावट की आशंका और आवक में दो सप्ताह की देरी प्याज की कीमतों में अचानक तेजी की इकलौती वजह नहीं हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पुरानी फसल का पर्याप्त स्टॉक है और सरकार ने पांच लाख टन का बफर स्टॉक भी बना रखा है. 

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सूत्रों ने कहा कि दिसंबर के अंत तक के लिए प्याज पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाने से खासकर महाराष्ट्र में कीमतों को घटाने में मदद मिल रही है जहां 30 अक्टूबर को कीमतें 4-10 प्रतिशत तक गिर गईं. 

मंडियों में खरीफ की फसल कम मात्रा में आनी शुरू हो गई है लेकिन नवंबर के दूसरे सप्ताह से प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से बड़ी मात्रा में प्याज की आवक शुरू हो जाएगी. 

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नई फसल बाजार में न आने तक सरकार प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए बफर स्टॉक से प्याज बाजार में जारी करेगी. अब तक 1.8 लाख टन प्याज बाजार में जारी किया जा चुका है. 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 20 अक्टूबर तक देश से करीब 15 लाख टन प्याज का निर्यात हो चुका है. वित्त वर्ष 2022-23 में कुल प्याज निर्यात 25 लाख टन का हुआ था. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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