Delhi Riots: बीते साल फरवरी के महीने में उत्तर पूर्वी दिल्ली बेहद भयानक दंगे की गवाह बनी. यह दंगे 11 पुलिस थानों के इलाकों में हुए. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के मुताबिक दंगों की शुरुआत चक्काजाम से की गई, जिसकी कमान एंटी सीएए (CAA) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन करने वाले संभाल रहे थे. ये प्रदर्शन हौजरानी, जामा मस्जिद, दरियागंज, सीलमपुर,नबी करीम, सदर बाजार जैसे इलाकों में चल रहे थे, जहां मुस्लिम आबादी भी काफी ज्यादा है. दंगों की शुरुआत 23 फरवरी 2020 से हुई और 25 फरवरी की शाम को शांति हुई. इन दंगों में 53 लोग मारे गए जबकि 1811 लोग घायल हुए. बड़े पैमाने पर निजी और सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ.
दंगों के पीछे बड़ी साजिश
पुलिस के मुताबिक दंगे एक बड़ी साजिश के तहत ठीक उस वक्त हुए जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा था. दंगे इसलिए हुए ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का इस पर ध्यान जाए और भारत की छवि खराब हो. इसीलिए दंगाइयों ने संवेदनशील इलाकों को चुना.
दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने 11 थानों में 755 केस दर्ज किए. पुलिस का दावा है कि इतने केस 1984 के दंगों में भी दर्ज नहीं किए गए थे. दंगे सबसे ज्यादा सीलमपुर, जाफराबाद, भजनपुरा, वेलकम, ज्योति नगर, करावल नगर, गोकुलपुरी, दयालपुर और खजूरी खास जैसे इलाकों में हुए.
दंगों की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की तीन एसआईटी बनीं जो 60 मामलों की जांच कर रही हैं. इनमें 53 हत्या के मामले भी शामिल हैं. दंगों के पीछे की बड़ी साजिश की जांच करने के लिए स्पेशल सेल ने अलग से केस दर्ज किया, जबकि बाकी बचे 692 मामलों की जांच स्थानीय पुलिस कर रही है.
दंगों के मामले में 775 केस दर्ज किए गए, जिनमें 400 मामलों को सुलझा लिया गया है. 349 मामलों में कोर्ट में चार्जशीट दायर हो चुकी है,102 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर हुई हैं, 303 चार्जशीटों पर अदालतें संज्ञान ले चुकी हैं.
अभी तक इन मामलों में 1825 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इनमें से 869 आरोपी हिन्दू समुदाय से हैं जबकि 956 आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं. आरोपियों की पहचान मौके से मिले वीडियो,फेसियल रिकग्नीशन सिस्टम,सीसीटीवी फुटेज और लोगों के फोन से मिली तस्वीरों और वीडियो के जरिए हुई. पुलिस को 954 वीडियो मिले. इन वीडियो और तस्वीरों को अपराधियों के डोजियर से भी मैच किया गया जिससे कई दंगाइयों को पकड़ने में मदद मिली.
आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, ई वाहन डाटाबेस, ड्राइविंग लाइसेंस डाटाबेस से भी आरोपी पकड़े गए. आरोपियों के मोबाइल से डिलीट डेटा को रिट्रीव कराकर, डंप डेटा, जिओ लोकेशन से भी कई सबूत मिले.
दंगों के लिए आए फंड की भी जांच की गई. अभी 1204 ऐसे आरोपी हैं जिन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. दंगों में हुए नुकसान की भरपाई आरोपियों से वसूलने के लिए क्लेम कमिश्नर नियुक्त किए गए, जिनमें पास क्लेम के लिए 2000 एप्लिकेशन आ चुकी हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से 20 करोड़ का मुआवजा दिया जा चुका है.
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साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पुलिस की मदद से पीस कमेटी की 471 मीटिंग हो चुकी हैं. नुकसान की भरपाई के लिए दंगा क्लेम कमीशन के लिए 2599 लोगों ने आवेदन किया है. पुलिस के मुताबिक दंगों की जांच तेजी से चल रही है और जो मामले अभी नहीं सुलझ पाए हैं, वे जल्दी सुलझा लिए जाएंगे.