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"देश के हर 6 में से एक वाटर बॉडी अब उपयोग के योग्य नहीं...", जल निकायों की पहली गणना में हुआ खुलासा

जल निकायों की पहली गणना में ये पाया गया है कि देश में जल निकायों का एक बड़ा हिस्सा यानी 83.7% (20,30,040) उपयोग में है.

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NDTV ने जल निकायों की मौजूदा हालत का लिया जायजा (प्रतीकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:

बढ़ते तापमान, रखरखाव की कमी और सरकारों की अनदेखी की वजह से आज देश के अंदर बड़ी संख्या में जल निकाय (वाटर बॉडी) गायब हो रहे हैं. सरकार की तरफ जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24,24,540 जल निकायों में से 3,94,500 (16.3%) ऐसे हैं जो सूखने, निर्माण-कार्य, और खारेपन जैसी समस्याओं की वजह से अब उपयोग के लायक नहीं बचे हैं. वहींस 38,496 जल निकाय ऐसे हैं जिनका अतिक्रमण किया गया है. ये खुलासे जल निकायों की पहली गणना में हुआ है. इस गणना के मुताबिक आज देश के हर 6 में से एक जल निकाय आम लोगों के किसी उपयोग लायक नहीं बचा है. देश में जल निकायों की बदहाली को लेकर पिछले कई दशकों से सवाल उठते रहे हैं. जल निकायों की पहली गणना ने एक बार फिर उनके पुनर्निर्माण और उनके रख रखाव में बदलाव का सवाल देश के सामने रखा है. जल निकायों की बदहाली की रिपोर्ट के बीच NDTV ने दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थित कई जल निकायों की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान जो तथ्य और इनसे जुड़ी मौजूदा स्थिति सामने आई वो हैरान करने वाले थे. पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट- 

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गाजियबाद में जल निकायों का हुआ बड़े स्तर पर अतिक्रमण

NDTV के हिमांशु शेखर जब सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद जल निकायों की स्थिति जांचने गाजियाबाद पहुंचे तो उन्हें जो दिखा वो कुछ और ही कहानी बयां करता है. गाजियाबाद में मौजूद 1500 जल निकायों में से 400 से ऐसे हैं जिनपर पूरी तरह से अतिक्रमण हो किया जा चुका है. NDTV ने इस दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में 2013 से गाज़ियाबाद के जल निकायों को पुनर्जीवित  करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे पर्यावरण एक्टिविस्ट सुशील राघव से बात की. सुशील राघव ने बताया कि जिन 400 जल निकायों पर अतिक्रमण हुआ है उनमे से 40 ऐसे हैं जिनपर आंशिक रूप से अतिक्रमण है और जिन्हें अभी भी बचाया जा सकता है. लेकिन प्रशासन इन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर रहा है. 

तालाब कूड़ेदान में बदला

गाज़ियाबाद के अर्थला में कभी यहां एक बड़ा तालाब हुआ करता था, लेकिन अब वह लोगों की याद में है या फिर सरकारी आंकड़ों में. आज ये अतिक्रमण और गार्बेज डंपिंग की वजह से गाज़ियाबाद में जल निकायों की बदहाली का आईना बन गया है. सरकारी रेवेन्यू रिकॉर्ड के मुताबिक 1950 में इस जगह पर एक तालाब हुआ करता था. लेकिन आज यहां तालाब का नामोनिशान भी नहीं बचा है. तालाब के एक हिस्से में लोगों ने घर बना लिए हैं, और एक हिस्से में कचरे का ढेर पड़ा है.

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रखरखाव की कमी की वजह से डेंगू का है खतरा

अर्थला से कुछ ही किलोमीटर दूर बालू पुरा में मशहूर "पक्का तालाब" करीब दो साल पहले पूरी तरह से सूख गया था. पिछले साल ट्यूबवेल से इसमें पानी भरा गया लेकिन रख रखाव ठीक से न हो पाने से लोगों के किसी काम का नहीं रह गया है. तालाब पर ताला लगा हुआ है. स्थानीय निवासी पूनम ने एनडीटीवी से कहा कि पहले ये सूखा पड़ा था. जब से पानी भरा गया ये गन्दा पड़ा है. डेंगू जैसी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है. वहीं, मोनू कहते हैं ये जल निकाय दो साल बंद पड़ा रहा. अब तालाब का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं क्योंकि ये बंद पड़ा है और पानी की सफाई नहीं होने से ये किसी इस्तेमाल के लायक नहीं बचा है. 

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24,24,540 जल निकायों में से 38,496 का हुआ अतिक्रमण

जल निकायों की पहली गणना में ये पाया गया है कि देश में जल निकायों का एक बड़ा हिस्सा यानी 83.7% (20,30,040) उपयोग में है. जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक 24,24,540 जल निकायों में से 38,496 जल निकाय ऐसे हैं जिनका अतिक्रमण किया गया है. इनमे से अधिकतर अतिक्रमित किये गए जल निकाय तालाब हैं जिसके बाद टैंकों का नंबर है.

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