"एक राष्ट्र, एक चुनाव" से बढ़ सकता है वोटिंग प्रतिशत, खत्म होगा "वोटर Fatigue": पियूष गोयल    

पियूष गोयल ने कहा कि बार-बार वोट देकर मतदाता भी थक जाते हैं, उन्हें Voter Fatigue हो जाता है. इसका सीधा असर चुनावों में मतदान प्रतिशत पर पड़ता है. 

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  • केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने वन नेशन, वन इलेक्शन से मतदाता उत्साह और मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना जताई है
  • एक साथ चुनाव होने पर मतदाताओं में थकान कम होती है जिससे मतदान में वृद्धि और चुनाव प्रक्रिया में सुधार होता है
  • वन नेशन, वन इलेक्शन व्यवस्था से व्यापारियों को लाभ होगा और चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी तथा शुद्ध बनेगी
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नई दिल्ली:

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने कहा है कि "वन नेशन, वन इलेक्शन" मतदाताओं का उत्साह बढ़ा सकता है. दिल्ली में समस्त व्यापारी उद्यमी संगठनों द्वारा "वन नेशन, वन इलेक्शन" पर आयोजित सम्मेलन में पियूष गोयल ने कहा, "जब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो वोटिंग परसेंटेज भी बढ़ता है जैसा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, सिक्किम में हुआ है. एक साथ चुनाव होने पर वोटरों में उत्साह भी रहता है. जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं वहां वोटिंग परसेंटेज काफी गिर जाता है. "वन नेशन, वन इलेक्शन" मतदाताओं का उत्साह बढ़ा सकता है".

पियूष गोयल ने कहा कि बार-बार वोट देकर मतदाता भी थक जाते हैं, उन्हें Voter Fatigue हो जाता है. इसका सीधा असर चुनावों में मतदान प्रतिशत पर पड़ता है. व्यापारी संगठनों को सम्बोधित करते हुए पियूष गोयल ने कहा कि "वन नेशन, वन इलेक्शन" व्यवस्था से देश के व्यापारियों को फायदा होगा.

पियूष गोयल ने बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में सुधार के लिए जारी चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2025 का जिक्र करते हुए कहा, "घुसपैठियों से व्यापारियों को बहुत नुकसान होता है. मैं चुनाव आयोग को SIR के लिए धन्यवाद देता हूँ. जब "वन नेशन, वन इलेक्शन" होगा, इलेक्शन बहुत शुद्ध होगा".

व्यापारी संगठों के सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा की देश की प्रगति में एक बड़ा अवरोध बार बार होने वाले चुनाव हैं. शिवराज ने कहा, "जब मैं मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री था पूरा साल चुनाव में निकल जाता था. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लग जाता है और विकास का काम ठप्प हो जाता है. वोटर लिस्ट तैयार करने में सैकड़ों टीचरों, आंगनबाड़ी वर्करों, कृषि अधिकारीयों और पुलिस इंस्पेक्टरों को लगाया जाता है. चुनावों के कंडक्ट पर 4.5 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च होता है और ये खर्च अब बढ़कर 7 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है".

चुनावों पर बढ़ते खर्च का जिक्र करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने पोलिटिकल कैंपेन पर बढ़ते खर्च का भी हवाला दिया. शिवराज ने कहा कि व्यापारियों से अलग-अलग उम्मीदवार चंदा मांगते हैं, और उन्हें मजबूरी में चंदा देना भी पड़ता है. बार बार होने वाले चुनावों की वजह से पार्टियां लॉन्ग टर्म प्लानिंग भी नहीं कर पाती हैं, राज्यों में आर्थिक निवेश पर भी इसका असर पड़ता है. 

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