पंजाब में "एक विधायक, एक पेंशन" योजना लागू, भगवंत मान ने कहा- व्यवस्था में आएगा बदलाव

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि अब नेताओं को "मुफ्त की रेवड़ी" नहीं दी जाएंगी

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भगवंत मान ने कहा, एक विधायक, एक पेंशन बिल को राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है (फाइल फोटो).

चंडीगढ़:

पंजाब (Punjab) के राज्यपाल की ओर से पूर्व विधानसभा सदस्यों (Ex MLAs) को कई पेंशन सीमित करने वाले विधेयक को अपनी सहमति दे दी. इसके बाद आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने शनिवार को इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया. मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने कहा कि इससे पांच साल में 100 करोड़ रुपये की बचत होगी. भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में 'एक विधायक, एक पेंशन' को लागू करने वाली अधिसूचना देश की राजनीतिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव और सुधार करेगी.

भगवंत मान ने कहा, "आप सरकार द्वारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय नायकों के सपनों को साकार करने के लिए यह एक विनम्र पहल है."

पंजाब विधानसभा ने 30 जून को पंजाब राज्य विधानमंडल सदस्य (पेंशन और चिकित्सा सुविधाएं नियमन) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया था. इसका उद्देश्य राज्य विधानसभा के सदस्यों को केवल 60,000 रुपये प्रति माह की नई दर पर एक ही कार्यकाल के लिए पेंशन और महंगाई भत्ता देना है.

भगवंत मान ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, "मुझे पंजाबियों को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि राज्यपाल ने 'एक विधायक, एक पेंशन' बिल को अपनी मंजूरी दे दी है. सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की है."

उन्होंने कहा कि इस कदम से राज्य सरकार को सालाना करीब 19.53 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है.

इस नोटिफिकेशन के बाद पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि अब नेताओं को "मुफ्त की रेवड़ी" नहीं दी जाएंगी. हरपाल चीमा ने एक ट्वीट में कहा, "नेताओं को अब 'फ्री की रेवड़ी' नहीं! पिछली सरकारों के दौर में जब पंजाब भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा था, विधायक कई पेंशनों का आनंद ले रहे थे. सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में यह समाप्त हो गया." 

बाद में एक बयान में भगवंत मान ने कहा, “हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने एक वर्गहीन लोकतंत्र का सपना देखा था, जहां चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के वास्तविक सेवक के रूप में काम करेंगे और उनकी भलाई सुनिश्चित करेंगे.'' उन्होंने कहा, "लेकिन पिछले 75 वर्षों में ये निर्वाचित प्रतिनिधि सरकारी खजाने से फालतू वेतन और पेंशन लेकर राजनीतिक अधिकारी बन गए हैं."

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भगवंत मान ने कहा कि इन नेताओं को दी जाने वाली सुविधा का पूरा बोझ करदाताओं के पैसे से वहन किया जाता है. उन्होंने कहा, "उनके पैसे का इस्तेमाल जनकल्याण के लिए नहीं बल्कि इन नेताओं की जेब भरने के लिए किया गया."

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