यूपी कांग्रेस में घमासान मचा है. कल क्या होगा! सब इसी आशंका में जी रहे हैं. हफ़्ते भर पहले तक तो सब ठीक था. पर एक चिट्ठी ने बवाल मचा दिया है. चिट्ठी कांग्रेस के बिग बॉस की तरफ से आई है. इस पर 31 मई की तारीख़ लिखी है. उसके बाद से ही विवाद बढ़ता जा रहा है. मामला लखनऊ से दिल्ली पहुंच गया है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्त्व के पास फाइल है. क्या पार्टी हाई कमान अपना फैसला बदलेगी!
कांग्रेस में किस बात पर विवाद
कांग्रेस में जारी विवाद की शुरुआत इसी साल 27 फ़रवरी को हो गई थी. यूपी में पार्टी के OBC मोर्चे के अध्यक्ष मनोज यादव को हटा दिया गया. पार्टी के OBC मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह यादव ने यूपी की कमेटी भंग कर दी थी. उन्होंने ये फ़ैसला पार्टी के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय से सलाह के बाद किया था. लेकिन जिनको हटाया गया, ठीक तीन महीने बाद सम्मान सहित उनकी उसी पद पर वापसी हो गई. मनोज यादव यूपी ओबीसी मोर्चे के अध्यक्ष बन गए.
मनोज यादव के लिए कांग्रेस के संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल ने चिट्ठी जारी की. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को तो जैसे करंट लग गया. यूपी में पार्टी के बॉस वही हैं. पर फैसला उनकी मर्जी के खिलाफ लिया गया. पार्टी के अंदर ये मैसेज गया कि अजय राय को चुनौती दी गई है. कुछ नेताओं ने कहा मनोज की वापसी ने अजय राय के लिए बड़ी विचित्र परिस्थिति पैदा कर दी है. जिसके साथ वे काम न करने का मन बना चुके थे, उन्हें ही टीम में जोड़ दिया गया.
सूत्रों का कहना है कि इस फ़ैसले के पीछे कांग्रेस के OBC मोर्चा के अध्यक्ष अनिल जयहिंद हैं. वे कभी शरद यादव के बेहद करीबी हुआ करते थे. अब उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नज़दीकी माना जाता है. अब अजय राय क्या करें! वे यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. पर फ़ैसले उनकी मर्जी से ख़िलाफ़ हो रहे हैं. अब अगर ये ख़बर जंगल में आग की तरह फ़ैल हो गई तो फिर राय क्या करेंगे. किस मुंह से वे पार्टी के लोगों से काम लेंगे.
अजय राय ने कांग्रेस ऑफिस आना छोड़ दिया है. उनके समर्थक कह रहे हैं कि ऐसे कैसे हो सकता है. इसी दौरान मनोज यादव का टेबल पर जूता रख कर बैठने वाला फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. कहां तो कांग्रेस कभी अकेले चुनाव लड़ने का दम भर रही थी. यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने का दावा कर रही थी. पर यहां तो पार्टी आपसी कलह में फंसी है.
कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय अपने रूख पर अड़े हैं. उन्होंने मनोज यादव के साथ काम न करने का मन बनाया है. सूत्र बताते हैं कि अजय राय का कहना है कि अगर कैप्टन उन्हें बनाया गया है. तो फिर टीम में कौन-कौन रहेगा, ये उनकी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए. सवाल नाक का है. इसलिए अब ये नाक की लड़ाई बन गई है. कहा जा रहा है कि अनिल जयहिंद ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मनोज को कुर्सी पर बैठा दिया है. उन्हें राहुल गांधी का करीबी बताया जाता है. संविधान और आरक्षण बचाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा वहीं तय करते हैं. तो इस लड़ाई में अब किसकी नाक बचती है, ये देखना होगा.