दिल्ली में यमुना उफान पर, सेना के मोर्चा संभालते कुछ यूं बदली तस्वीर

ड्रेनेज नंबर 12 की वजह से उसके पास ही बने WHO की इमारत में भी पानी घुसने का खतरा बना हुआ है. ऐसा ना हो इसके लिए सेना ने युद्धस्तर पर इस इमारत से पहले एक छोटा सा बांध बनाया ताकि पानी को आगे जाने से रोका जा सके. इस बांध के बनने के बाद पानी रुक गया. 

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दिल्ली में सेना के मोर्चा संभालने के बाद सुधरे हालात

नई दिल्ली:

दिल्ली में यमुना के बढ़े जलस्तर की वजह से बीते कुछ दिनों से कई इलाकों में पानी भरा हुआ है. हालांकि, जलस्तर तो कुछ कम हुआ है. लेकिन यमुना अभी भी खतरे के निशान के ऊपर है. ऐसे में शहर के अन्य हिस्सों में पानी ना घुस पाए ये सुनिश्चत करना दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही थी. कहा जा रहा था कि अगर शुक्रवार को ड्रेनेज संख्या 12 के रेगुलेटर को जल्द ठीक नहीं किया गया तो यमुना का पानी सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच सकता है. हालांकि इस रेगुलेटर को ठीक करने और यमुना के पानी को शहर में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली सरकार के अधिकारी और खुद मंत्री कई स्पॉट पर रात-रात भर रहे और अपने सामने बांध बनाने का काम भी कराया . लेकिन इन सभी प्रयासों के बाद भी शुक्रवार सुबह तक इस ड्रेनेज के रेगुलेटर को ठीक नहीं किया जा सका. इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने सेना और एनडीआरएफ को भेजने की मांग की. सीएम केजरीवाल की इस मांग के कुछ घंटे के भीतर ही सेना मौके पर पहुंच गई और आईटीवी के बैराज के दरवाजे खोलने से लेकर ड्रेनेज संख्या 12 के रेगुलेटर को ठीक करने तक का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया. 

आईटीओ के बैराज के गेट को खोला

सेना ने मोर्चा संभालते ही सबसे पहले आईटीवी के बैराज पर बने सलूइस गेट के ऊपर के ओवर हैंग को काटने के लिए अपने इंजीनियरिंग टीम को काम पर लगाया. दिल्ली सरकार और उनके अधिकारी बीते कई दिनों से इस बैराज के गेट को खोलने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन गाद के ज्यादा जमा हो जाने की वजह उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल रही थी. इसके बाद सेना के इंजीनियर्स भी इनके साथ मिलकर काम पर जुटे और शुक्रवार शाम को यह काम पूरा किया गया. अभी तक आईटीओ बैराज के पांच में एक गेट को खोला जा सका है. सेना की टीम काम खत्म होने के बाद भी स्टैंड बॉय पर है. अगर फिर जरूरत पड़ी तो सेना दोबारा काम शुरू करेगी. 

WHO की इमारत के सामने बनाया बांध

ड्रेनेज नंबर 12 की वजह से उसके पास ही बने WHO की इमारत में भी पानी घुसने का खतरा बना हुआ है. ऐसा ना हो इसके लिए सेना ने युद्धस्तर पर इस इमारत से पहले एक छोटा सा बांध बनाया, ताकि पानी को आगे जाने से रोका जा सके. इस बांध के बनने के बाद पानी रुक गया. 

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ड्रेनेज संख्या 12 का रेगुलेटर भी बदला गया

सेना ने मोर्चा संभालते ही ड्रेनेज संख्या 12 के रेगुलेटर को ठीक करने का काम किया. ये वही ड्रेनेज है, जिसमें यमुना का पानी के आने से इस पानी के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने की आशंका पैदा हो गई थी. लेकिन सेना ने युद्ध स्तर पर काम करते हुए ड्रेनेज संख्या 12 के रेगुलेटर को बदला. जिससे यमुना का पानी शहर के अंदर आने से रुक गया. 

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