मणिपुर में सेना उतारने के राहुल गांधी के बयान पर हिमंता बिस्वा सरमा का पलटवार

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय सेना को मणिपुर में हिंसा रोकनी चाहिए. इसका क्या मतलब है? उन्हें नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए?

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मणिपुर हिंसा का समाधान 'दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं'- हिमंता बिस्वा सरमा
गुवाहाटी:

मणिपुर हिंसा पर मोदी सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना मणिपुर में "कुछ भी हल नहीं कर पाएगी", और 100 दिनों से अधिक समय से जारी हिंसा का समाधान "दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं". मुख्‍यमंत्री सरमा ने पूछा कि क्या कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, जिन्होंने सुझाव दिया था कि सेना संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में दो दिनों में "संघर्ष रोक सकती है", क्या सेना को नागरिकों पर गोली चलाने की सलाह दे रहे हैं? 

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिजोरम संदर्भ (1966 में मिजोरम में वायु सेना के विमानों का उपयोग करके भारत के अपने नागरिकों पर बमबारी) को भी दोहराया.

गुवाहाटी में हिमंता बिस्वा सरमा ने संवाददाताओं से कहा, "भारतीय वायु सेना ने आइजोल में ऐसा किया, उन्होंने बम बरसाए जब हिंसा कम हो रही थी. आज, राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय सेना को मणिपुर में हिंसा रोकनी चाहिए. इसका क्या मतलब है? उन्हें नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए? क्या यह उनका नुस्खा है? वह ऐसा कैसे कह सकते हैं? सेना कुछ भी हल करने में सक्षम नहीं होगी. ऐसे में वे केवल अस्थायी रूप से शांत हो पाएंगे, या दी गई स्थिति में शांति ला पाएंगे. लेकिन समाधान दिल से आना होगा, गोलियों से नहीं."

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असम के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विपक्ष ने पहले पीएम से इस मुद्दे पर बोलने की मांग की और फिर लोकसभा में पीएम मोदी के दो घंटे से अधिक लंबे भाषण के दौरान संसद से बाहर चले गए, इससे उनकी रणनीति पूरी तरह से उजागर हो गई." उन्‍होंने कहा, "विपक्ष का इरादा मणिपुर हिंसा पर संवेदनशील चर्चा करने का नहीं था, वे सिर्फ इस बहाने से संसद को बाधित करना चाहते थे. वे संसद के अंदर हंगामा करना चाहते थे. चर्चा के लिए संसद को बाधित करना मणिपुर के लिए उनका प्यार नहीं था, यह उनके निहित राजनीतिक हित के लिए था."

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हिमंता बिस्वा सरमा ने पीएम मोदी के 2 घंटे 20 मिनट लंबे भाषण में लगभग 10 मिनट तक मणिपुर पर बोलने का समर्थन करते हुए कहा कि उन्‍होंने अपने दिल से और पूर्वोत्तर के लिए बात की है. पीएम मोदी ने यह भी प्रदर्शित किया कि पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति उनके मन में कितना स्नेह है. हम बेहद खुश हैं, विपक्ष खुश नहीं होगा. मुझे उम्मीद है कि एक प्रमुख पार्टी के रूप में विपक्ष को पीएम का भाषण अंत तक सुनना चाहिए था."

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राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि जब राज्य पिछले चार महीनों से जल रहा है, तो प्रधानमंत्री को संसद में हंसना और चुटकुले सुनाना शोभा नहीं देता. दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री "चाहते हैं कि मणिपुर जले और जलने दें". अगर सरकार हिंसा को रोकना चाहती है, तो सरकार के हाथ में ऐसे उपकरण हैं, जो इसे तुरंत रोक सकते हैं.

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