भारत ओमिक्रॉन की लहर (Omicron Wave) का सामना कर रहा है-जिसे हम संभवतः स्वीकार नहीं कर रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ओमिक्रॉन के केस भारत में कोरोना के कुल मामलों का दो फीसदी से भी कम हैं, लेकिन यह हकीकत से काफी कम आंकड़ा हो सकता है. एनडीटीवी (NDTV) के मेहर पांडेय और सौरभ गुप्ता के एक्सक्लूसिव गहन अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट में यह कहा गया है. यह आगाह किया गया है कि भारत में ओमिक्रॉन से बड़ा स्वास्थ्य संकट सामने आ सकता है. हालांकि अभी ओमिक्रॉन के ज्यादातर मामलों में कोई लक्षण नहीं मिलते हैं और न ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है.
ओमिक्रॉन के आधिकारिक मामले भले ही भारत में 1500 के करीब बताए जा रहे हों, लेकिन हकीकत में यह संख्या 10 गुना ज्यादा तक हो सकती है. यह तादाद 18 हजार तक होने का अंदेशा है. कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस लगातार बढ़ रहे हैं.
ओमिक्रॉन भारत में डेल्टा और अन्य वैरिएंट को छोड़कर सबसे ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है. दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी ओमिक्रॉन के केस बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं. कुछ देशों में कोरोना के कुल मामलों में 90 फीसदी ओमिक्रॉन वैरिएंट के हैं.
भारत में ओमिक्रॉन के आधिकारिक आंकड़े बेहद कम हैं, इसका कारण यह हो सकता है कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए जांच केंद्र या लैब की संख्या बेहद कम है.
कोविड पॉजिटिव होने के बाद जीनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing ) के जरिये ही यह पता लगाया जा सकता है कि यह ओमिक्रॉन या कोई और वैरिएंट हैं. एनडीटीवी ने ओमिक्रॉन की जांच करने वाली दो लैब से डेटा इकट्ठा किया है.यहां से मिली जानकारी ओमिक्रॉन के आधिकारिक मामलों से अलग हकीकत बयां करते हैं.
ये दो लैब दिल्ली और मुंबई में हैं, जो ओमिक्रॉन की टेस्टिंग करती हैं.ये दिखाता है कि कोरोना के कुल मामलों में ओमिक्रॉन के केस 60 फीसदी हो सकते हैं. मुंबई की लैब की आगामी रिपोर्ट में भी यह सामने आ सकता है कि कुल जांच के नमूनों में से 60 फीसदी ओमिक्रॉन के हो सकते हैं, जो एक हफ्ते पहले 37 फीसदी था.
यह खतरे की घंटी है कि ओमिक्रोन के केस डेल्टा के मुकाबले बेहद तेज गति से बढ़ रहे हैं. यह दो तीन हफ्ते पहले कुल मामलों के मुकाबले महज दो फीसदी था. लेकिन कुछ दिन पहले कोरोना के कुल मामलों में ओमिक्रॉन 30 फीसदी पहुंच गया था. अब यह 60 फीसदी तक पहुंच गया है.
इस अवधि में डेल्टा (Delta Variant) के केस लगातार कम हो रहे हैं. ऐसे में ओमिक्रोन वैरिएंट सबसे ज्यादा ताकतवर बनता जा रहा है. इसे भारत के लिए अच्छी और बुरी खबर भी हो सकती है. अच्छी खबर है कि ओमिक्रॉन का संक्रमण डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा गंभीर नहीं है. ओमिक्रॉन के मुकाबले डेल्टा के मरीजों की ज्यादा संख्या के मुकाबले ज्यादा मौतें भी सामने आई हैं.
हालांकि चिंता की बात है कि ओमिक्रॉन बेहद तेजी से फैल रहा है. इसे डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले चार से पांच गुना ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है. यह दिखाता है कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत में भी तीसरी लहर पैर पसार रही है.
इस लहर के चरम पर पहुंचने के वक्त देश में कोरोना के मामले रोजाना 16 से 20 लाख तक पहुंच सकते हैं. जबकि कोरोना की डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई दूसरी लहर के दौरान अप्रैल मई 2021 में भारत में अधिकतम मामले चार लाख तक पहुंचे थे.
यह भारत के स्वास्थ्य ढांचे पर अकल्पनीय दबाव डाल सकता है. हास्पिटल बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, डॉक्टरों और दवाओं की उपलब्धता का संकट आ सकता है. ओमिक्रॉन के बेहद कम मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ने के बावजूद ऐसे हालात बन सकते हैं, क्योंकि तब कोरोना के केस और संक्रमण की तादाद काफी बड़ी हो सकती है.
डेल्टा के 100 से 6 केस में अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती थी. अगर ओमिक्रॉन के मामले में हम इसे तीन ही मान लें तो इसके बेहद भयावह नतीजे दिख सकते हैं. दूसरी लहर में अधिकतम मामले चार लाख तक पहुंचे थे और इसमें से 24 हजार लोगों को एकदिन में अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी थी. अगर ओमिक्रॉन के मामले में सबसे खराब अनुमान की बात करें तो तीसरी लहर में ओमिक्रॉन के केस रोजाना 20 लाख तकपहुंच सकतेहैं. इस हिसाब से रोजाना 60 हजार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है.