ओमिक्रॉन वैरिएंट भारतीय अर्थव्यवस्था की सुधार की राह में बन सकता है संकट : वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट

मंथली इकनोमिक रिव्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर टैक्स और ड्यूटी घटने की वजह से आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर दबाव कम होने की उम्मीद है.

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ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे के बीच आर्थिक विकास दर पर पड़ सकता है असर
नई दिल्ली:

COVID-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron variant ) से वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधार के लिए एक नया संकट खड़ा हो सकता है. वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जारी अपने ताज़ा मंथली इकनोमिक रिव्यू रिपोर्ट (नवंबर) में ये महत्वपूर्ण बात कही है. हालांकि मंथली इकोनॉमिक रिव्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार, भारत में टीकाकरण की बढ़ती रफ़्तार की वजह से ओमिक्रॉन वैरिएंट का ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद कम है.भारत में हाल ही में दूसरी तिमाही के जीडीपी (GDP) के आंकड़े जारी किए गए हैं. इसके हिसाब से अर्थव्यवस्था कोरोना के पहले के स्तर को पार कर चुकी है.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्तीय साल 2021-22 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 8.4% रही है और 2019-20 की दूसरी तिमाही के मुकाबले अर्थव्यवस्था इस साल दूसरी तिमाही में आगे बढ़ चुकी है, यानी कोरोना से पहले के स्तर को पार कर चुकी है. अब उम्मीद है की मौजूदा पूरे वित्तीय साल (वित्त वर्ष 2021-22) के दौरान भी ये ट्रेंड बरकरार रहेगा.

मंथली इकनोमिक रिव्यू रिपोर्ट (नवंबर, 2021) में कहा गया है कि आने वाले महीनों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर टैक्स और ड्यूटी घटने की वजह से आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर दबाव कम होने की उम्मीद है.

उधर, रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान घटाकर 8.4 फीसदी कर दिया है. उसने कोरना महामारी की दूसरी लहर के बाद पुनरुद्धार उम्मीद से कम रहने को देखते हुए ऐसा किया . हालांकि फिच ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 10.3 प्रतिशत कर दिया है.

फिच ने इससे पहले अक्टूबर में वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 10 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. वहीं स्विटजरलैंड की ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 9 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है. उसने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी दर लगभग 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. यह अन्य एजेंसियों के औसतन अनुमान 8.4-9.5 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है.

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