ओलिंपिक में जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया. भारतीय एथलेटिक महासंघ की समीति ने फैसला किया है कि देश में हर साल 7 अगस्त को जेवलिन थ्रो डे मनाया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाए. नीरज चोपड़ा ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए खुद को भाग्यशाली कहा. सुनकर अच्छा लगा कि इस दिन को ऐतिहासिक बनाया जाएगा. अच्छा है इसमें बच्चे आगे आएं और देश के लिए मेडल जीतें. दरअसल, 7 अगस्त को ही नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए गोल्ड जीता था.
नीरज चोपड़ा और अन्य खिलाड़ी सम्मान समारोह में आज मीडिया से रू-ब-रू हुए. नीरज चोपड़ा से सवाल किया गया कि आपने ओलिंपिक में गोल्ड जीत लिया. हर खिलाड़ी का यही सपना होता है. अब आगे क्या लक्ष्य है? इस पर उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी को एक मेडल से संतुष्ट नहीं होना चाहिए. मैं पहले भी कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीत चुका हूं. अब आगे भी कॉमनवेल्थ गेम्स और अन्य विश्व प्रतियोगिताएं हैं, जिन्हें मैं जीतना चाहता हूं.
ओलिंपिक में प्रदर्शन के दौरान आपका आखिरी 6th थ्रो करते समय आपके मन में क्या था. क्या कुछ गड़बड़ भी हुई थी. इस सवाल पर वह बोले कि मेरे कुछ थ्रो खराब हो गए थे. दरअसल, जैवलिन थ्रो बहुत टेक्नीकल होता है. जरा-सा भी इधर-उधर हुआ तो गड़बड़ हो जाती है. मैंने अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रहा था, यही चीज दिमाग पर हावी थी. इस चक्कर में कुछ गड़बड़ हुई.
पीएम मोदी ने आपसे फोन पर बात की थी, आपको क्या लगता है ओलिंपिक में खिलाड़ियों के लिए आगे क्या बेहतर किया जा सकता है? नीरज ने कहा कि मुझे बहुत अच्छा लगा कि पीएम मोदी ने मुझसे बात की. वैसे उन्होंने सभी मेडलिस्ट से बात की थी. उन्होंने महिला हॉकी टीम से भी बात की थी, जिन्होंने मेडल नहीं जीता था. इससे अच्छा क्या होगा कि पीएम खुद खिलाड़ियों का हौंसला बढ़ा रहे हैं. हर खिलाड़ी इस बार हिस्सा लेने नहीं मेडल जीतने के लिए आया था. इसलिए सबने पूरा जोर लगाया. इस बार ओलिंपिक में खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से फिट रहे. ये ओलिंपिक भारत के लिए अच्छा रहा और आने वाले ओलिंपिक और अच्छे रहेंगे.
टोक्यो ओलिंपिक में इस बार डोप टेस्ट के साथ-साथ कोरोना टेस्ट का भी चक्कर था. क्या आपके मन में भी कोई डर था? वह बोले- डोप टेस्ट तो होता ही रहता है, कभी भी आकर कर लेते हैं. कोरोना टेस्ट की वजह से कई एथलीटों को ओलिंपिक छोड़ना पड़ा था. मेरे दिमाग में भी डर था कि कहीं हमारे साथ ऐसा न हो जाए.
जैवलीन थ्रो में टेकनीक का बहुत ध्यान रखा जाता है. आप इसमें आगे खुद को कैसे इंप्रूप करेंगे? नीरज बोले कि जैवलीन में तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिस पर बहुत ध्यान देना पड़ता है. मैं फिलहाल 90 मीटर के आसपास हूं. आगे मैं अपने कोच के साथ बात करके अपनी टेकनीक को और बेहतर करूंगा. 90 मीटर थ्रो करना मेरा सपना है.