उद्धव-राज आएंगे साथ या फिर...? राजनीतिक विश्लेषक ने बताई सटीक वजह

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चाएं जोरों पर हैं, खासकर स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए. दोनों दलों के लिए यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, अभी तक गठबंधन की रूपरेखा और शर्तों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

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मुंबई:

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक पुरानी तस्वीर चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ नजर आ रहे हैं. यह तस्वीर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के फ्रंट पेज पर प्रकाशित हुई है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. तस्वीर के प्रकाशन का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन के बारे में सकारात्मक संकेत दिए हैं.

गठबंधन की चर्चाएं
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चाएं जोरों पर हैं, खासकर स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए. दोनों दलों के लिए यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, अभी तक गठबंधन की रूपरेखा और शर्तों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

राजनीतिक विश्लेषक उदय तानपाठक ने कहा कि कौन चाहता है? ठाकरे बंधु एक साथ आए... यह बड़ा सवाल नहीं. लेकिन क्या ये दोनों साथ आना चाहते हैं यह बड़ा सवाल है. दोनों ही पक्षों में इगो एक बड़ा बड़ी समस्या है. मनसे का कहना है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी गठबंधन का प्रस्ताव लाए. लेकिन क्या यह प्रस्ताव ले जाएंगे, यह देखना होगा.

एनसीपी और शिवसेना यूबीटी की राहें अब अलग

उदय तानपाठक ने कहा कि महाविकास आघाड़ी महाराष्ट्र की राजनीति से लगभग खत्म हो चुकी है. एनसीपी और शिवसेना यूबीटी की राहें अब अलग है, पिछले महीना में उनकी एक भी संयुक्त बैठक नहीं हुई.  दोनों के साथ आने से इन्हें थोड़ा फायदा जरूर होगा. लेकिन कुछ बड़ा बदलाव होता हुआ नजर नहीं आ रहा.

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'विचारधारा लगभग एक है...'

तानपाठक ने कहा कि बीएमसी चुनाव के लिए शायद ठाकरे बंधु साथ आ जाए. लेकिन चुनाव के बाद यह साथ रहेंगे या नहीं यह बड़ा सवाल है. दोनों पार्टियों की विचारधारा लगभग एक है हिंदुत्व और मराठी मनुस को लेकर, लेकिन शर्तें साथ आने की कई सारी है. उद्धव ठाकरे को महा विकास आघाड़ी का साथ छोड़ना होगा और राज ठाकरे को महायुती के प्रति अपना लगाव.  

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कितना फर्क पड़ेगा?

उदय तानपाठक ने कहा कि आज भी एक गुट का दिल ठाकरे परिवार के लिए धड़कता है. लेकिन मराठी वोट बैंक को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. महायुति का जहां तक सवाल है. ठाणे कल्याण डोंबिवली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में शिवसेना की पकड़ तगड़ी है. ऐसे में वह कितना फर्क पड़ेगा. उनके साथ आने से यह कहा नहीं जा सकता.

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'उनका अधिकार है निर्णय लेने का...'

शिवसेना (UBT) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे चचेरे भाई है, रिश्तेदार है. दोनों बड़े नेता है और महाराष्ट्र की जनता के लिए आवाज उठाते हैं. दोनों कब मिलेंगे, कब गठबंधन करेंगे, क्या फैसला लेंगे, यह दोनों का अधिकार है और उनका फैसला होगा. कल अगर उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता जो चाहे वह हो जाएगा तो होगा और यह उनका अधिकार है निर्णय लेने का की युति कब करनी है या फिर नहीं करनी है. अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे मिल रहे हैं तो यह सकारात्मक सोच है. दोनों के लिए महाराष्ट्र की जनता का हित पहले है और उसके बाद अपने व्यक्तिगत या पार्टी की हित की बात आती है.दो नों को जब युति करनी होगी तो वह साथ आ जाएंगे. इसमें ऐसे सवाल करना कि कब युति होगी, कब करेंगे कब साथ आएंगे इसका कोई अर्थ नहीं है.

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मनसे के नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि उद्धव शिवसेना और उनके नेता जब तक गठबंधन को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं देते तब तक कोई बात आगे नहीं बढ़ेगी. उद्धव शिवसेना प्रस्ताव देगी तो राज ठाकरे उस पर सोचेंगे. अब उद्धव शिवसेना का हाल ट्रेडमिल पर दौड़ने जैसा, जो दौड़ता तो है पर होता है एक ही जगह वैसे यही हाल है.

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