उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट विनियमन एवं विकास अधिनियम (RERA) ने घर खरीदारों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है. अब खरीदारों को सिर्फ घर के पैसे देने होंगे. अब बिल्डरों को घर खरीदारों को घर का असल एरिया साफ-साफ बताना होगा. अब तक कई बिल्डर कॉमन एरिया को भी शामिल करके पूरे हिस्से का पैसा घर खरीदारों से मांगते रहे हैं. खरीदार को घर के साथ ही कॉमन एरिया की कीमत भी देनी पड़ती है. कई बार तो घर बहुत छोटा मिलता है. कई बिल्डर यह बताते ही नहीं हैं कि कारपेट एरिया कितना होगा. लेकिन अब यूपी रेरा ने कह दिया है कि सुपर एरिया पर फ्लैट नहीं बेचे जा सकेंगे.
यूपी रीयल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) ने कहा कि सुपर एरिया नहीं चलेगा. सुपर एरिया पर फ़्लैट की बिक्री अवैध मानी जाएगी. कारपेट एरिया के आधार पर फ़्लैट बेचना होगा. सुपर एरिया का कोई औचित्य नहीं है. RERA अधिनियम में सुपर एरिया की कोई परिभाषा नहीं है. रजिस्ट्रेशन के समय फ़्लैट की संख्या, दूसरी जगहों का उल्लेख होता है. यूपी RERA के पोर्टल पर बिक्री के लिए एक मॉडल समझौता है. यह समझौता कारपेट एरिया पर ही आधारित है.
यूपी RERA ने अहम निर्देशों में कहा है कि, अब खरीदारों को सिर्फ घर के पैसे देने होंगे. फ़्लैट सुपर एरिया के नाम पर नहीं बिकेंगे. सिर्फ अपने घर का पैसे देना होगा, कॉमन एरिया का नहीं देना होगा. कारपेट एरिया का ही पैसा दिया जाएगा. कई बिल्डर सुपर एरिया का पैसा लेते हैं. वे बड़ा एरिया बताते हैं, छोटा घर मिलता है. यूपी RERA ने कहा कि सुपर एरिया नाम की कोई चीज नहीं. रेरा के फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में बदलाव दिखेगा.
इससे रियल एस्टेट सेक्टर में कई बदलाव आने की आशा है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. पता होगा कि, घर की कितनी क़ीमत देनी है. कारपेट एरिया होने पर कीमतें बढ़ने की संभावना है.
यूपी रेरा ने कहा है कि सुपर एरिया पर फ़्लैट की बिक्री अवैध मानी जाएगी. कारपेट एरिया के आधार पर फ़्लैट बेचना होगा. RERA अधिनियम में सुपर एरिया की कोई परिभाषा नहीं है.
बिल्डर सुपर एरिया में कॉमन एरिया भी शामिल करता है. कॉमन एरिया में लिफ़्ट, गैलरी और दूसरी जगहें आती हैं. सुपर एरिया से फ़्लैट के सही आकार का अनुमान नहीं होता. कारपेट एरिया वह है जितनी जगह में सिर्फ फ़्लैट होता है.